जिंदगी जिंदगी से ना बिछड़े कभी,
हाथ में हाथ थामे हमकदम चल पड़े।
आज की रात नींद कहाँ आयेगी हमें,
हमनवां मेरे साथी मुझे तुम मिल गये।
तेरी पलकों पे ठहरी है नमी सी कहीं,
उदास क्यों बैठे,चलो मन कीबातें कहें।
पीर सागर से गहरी नैना छलकतें रहें,
कशिश की जंजीरें रूहें जकड़ते रहें।
दीदार की तलब में तेरे दर पर गये,
तुमको जबसे देखा है ओ प्यारे सनम।
दिल में कितने तूफां हम छिपायें खड़े,
हाथ में हाथ थामे हम कदम चल पड़े।
यूँ ही कोई मिल गया था हम-दम हमें,
गीत अनुराग हम मधुर सुनायेंगें तुम्हें।
मृदुल बतियों में गुलकंद रसधारा भरें,
आओ बैठो,दो बातें करें,प्रीत रस झरें।
कदम साथ उठाए तो फिर हैं क्यूँ गिलें,
हाथ में हाथ थामे, हम कदम चल पड़े।
आशिक दिल घायल मुस्कुराता भी है,
अनकही बातें सुनता समझता भी है।
तुम्हारे लिए ही झंकृत धड़कता भी है,
धड़कनों की माला में तुम्हीं तो हो गुंथें।
कयामत की रात तक हम संग हैं खड़े,
हाथ में हाथ थामे हम कदम चल पड़े।
तारों सितारों की संग डोलियाँ आ रही,
नीले अम्बर में पीयूष रैना सजने लगी।
रात भर शबनम मोती सी लुटाये लड़ी,
चाँद के सफर में रजनी पल पल ढली।
जिया बेकरार झूमे हमसफर चल पड़े,
हाथ में हाथ थामे हम कदम चल पड़े।
✍ सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।
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