प्रणव गीत

ये भींगे -भींगे से अहसास मेरे

कुछ तुम भी कहो

,कुछ हम भी

सुने।

ये पल दो पल की वात नहीं,

ये जन्मों की वात कहीं

इन पलों को कैसे

संभालू मैं,

कुछ

मैं भी कहूं 

कुछ तुम भी सुनों।

ये नव जीवन का भोर

सही…

कुछ तुम भी कहो

कुछ हम भी सुने…।

कुछ तुम भी चलो

कुछ हम भी चलें…

तय करने हैं जज्बात ही सही।

प्रणव राहें तांक रही

ये सुखद अहसास ही सही

कुछ तुम भी संभालों

कुछ हम भी संभालें।

‌यू.एस.बरी

‌लश्कर,ग्वालियर