मित्र अवसान आ गया
अब चलता हूं
फिर लौटूंगा
मत रोको मित्र
नहीं देर हो जायेगी
आऊंगा
विश्वास करो
तुम्हारी पीड़ा
महसूस कर रहा हूं
लेकिन अभी मुझे
जाना होगा
अब मेरे पास
समय नहीं है
मेरी प्रतीक्षा में कोई और है
इतने समय की ही मोहलत
मिली थी
यदि तुम मुझे
अब रोकोगे
तो सही सही हिसाब
नहीं दे पाऊंगा
फिर आऊंगा मित्र
तुम्हारी पीड़ा का
व्यापार नहीं होने दूंगा
तुम्हारा अौर मेरा साथ
यहीं तक का था
मित्र फिर आऊंगा
साथ साथ फिर
निराशा के अंधकार
को मिटाऊंगा
आशा के दीपक को
फिर जलाऊंगा
बस इतना याद रखना मित्र
इस जहां में
जहां भी कातरता, चुप्पी, बेचारगी
गूंगी हो जायेगी
उनकी आवाज बनकर
उनके संघर्ष की ध्वजा
झुकने मत देना
मैं फिर आऊंगा मित्र
तुम्हारी पीड़ा को
प्यार के सितार
पर बजाऊंगा
मैं फिर आऊंगा
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)
7458994874