कंजक पूजन

 सुबह सुबह गेट की घण्टी बजी तो मनजीत ने गेट खोला तो देखा पड़ोसन खड़ी थी।

 पड़ोसन,”मनजीत बहन जी अपनी बेटियों को भेज दीजिए आज नवरात्रों की अष्टमी है ।हम लोग आज के दिन कन्याओं  का पूजन करके उनको भोजन खिलाते हैं। कहते हैं कंजकों का पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती है और सभी मुरादें पूरी करती है।आप नही करते कंजक पूजन?”

मनजीत जिसकी पांच बेटियां थी लेकिन उसने और उसके सरदार जी  ने कभी इस बात पर अफसोस नही किया था कि उनकी पांच पांच बेटियां हैं और बेटा एक भी नही। सभी बेटियों को उतना ही प्यार  और बाकी  सब कुछ मिला जितना बेटे को मिलता।

पड़ोसन,”क्या हुआ मनजीत बहन जी आप किस सोच में पड़ गयी???

मनजीत,”बहन जी आप तो साल में दो बार ही कंजकों का पूजन करके उनको भोजन खिलाते हैं..!!! लेकिन माता रानी तो अंतर्यामी है और वो तो देखती ही होंगी कि मैं तो हर रोज़ साल के तीन सौ पैंसठ दिन पांच पांच कन्याओं को नहलाती हूँ, कपड़े पहनाती हूं, तीनो वक़्त भोजन खिलाती हूँ, उन्हें सुलाती हूं, स्कूल भेजती हूं, पढ़ाती भी हूँ..और भी उनके छोटे बड़े सभी काम करती हूं। अब आप ही बताएं हो जाता है ना हर रोज़ मेरे घर मे भी कंजकों का पूजन…!!!

मौलिक रचना

रीटा मक्कड़