भागीदारी

प्रतिदिन की तरह, आदतन रवि आज भी अपनी अम्मा और बाबा के चरण स्पर्श करने के लिए झुका। आज का दिन तो वैसे भी बहुत खास था । आज रवि का अपने कार्यालय में काम करने का पहला दिन था । अम्मा ने बड़े प्यार से रवि के सर पर हाथ रखा और आशीर्वाद दिया,”ईश्वर तुम्हे हमेशा कामयाब करे, तुम अपनी काबिलियत से जीवन में हर सुख भोगों, बेटा हमे तुमसे कुछ नही चाहिए बस तुम हमेशा खुश रहो यही कामना करती हूँ ।”

अम्मा बोलते – बोलते भावुक होते हुए कहने लगी,” मुझे खुशी हैं की तुम्हारी मेहनत और लगन से तुमने ये मुकाम हासिल किया हैं ।”

उसके बाद बाबा ने रवि को आशीर्वाद देते हुए उसे अपने गले से लगाया और कहा,” जब बच्चे का कद बाप के बराबर या उससे ऊँचा हो जाता हैं तो बच्चा घर की जिम्मेदारियों को भी उठाने का भागीदार हो जाता हैं ।”

“तुम्हारी अम्मा ठीक कह रही हैं कि तुमने ये पद ये मुकाम अपनी लगन और मेहनत से पाया हैं पर मैं तुम्हारी अम्मा की इस बात से सहमत नही की हमे तुमसे कुछ नही चाहिए।”

“बेटा तुम्हारे जन्म के पश्चात से हम हर सामाजिक और व्यवसायिक निर्णय को लेने के पहले सदैव तुम्हारे भविष्य और स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर हर निर्णय लेते थे।” 

“तुम्हे याद हैं मेरी कंपनी ने मेरा स्थानांतरण दक्षिण में कर दिया था पर वहां जाने के बाद से ही तुम वहां बीमार रहने लगे थे और हमे वहां से लौट कर फिर बीकानेर आना पड़ा।” 

“कंपनी वाले मानने को तैयार नहीं थे और तभी मैंने नौकरी छोड़ कर मिठाई की दुकान डाल दी थी।” 

“खैर! ये मत समझना की बाबा आज आप क्या मुझे जो कुछ आपने किया वो गिनवा रहे हो । मैंने और तुम्हारी अम्मा ने तुम पर कोई एहसान नहीं किया । हमने केवल तुम्हारे प्रति हमारी जिम्मेदारी का पालन किया और अब बारी तुम्हारी हैं।”

रूपल उपाध्याय

बड़ौदा 

* 7043403803