बेटियाँ, औरत, दोस्त

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एक औरत के लिये 

जीवन का सबसे ख़ास पल 

माँ बनने का होता है

बेटी के जन्म पर 

लाखों ख़ुशियाँ 

दोस्त एक मिल जाने 

जैसा होता है

अपनी परछाई-सी लगती है

जब-जब पर निगाह  

उस पड़ती है  

गर्व भी तब बहुत होता है 

जब उसे अपने से कई गुना 

बेहतर पाती है ।

उसके संग बचपन को  

माँ भी 

दिल भर कर जीती हैं  

हर अदा में उसके साथ  

याद कर अपना बचपन  

पल-पल मुस्कुराहती है 

नन्हीं-सी कोमल हथेलियों में 

पूरा आसमान  

भर देना चाहती हैं 

पंछियों की तरह  

क्यों उड़ नहीं पाती

बस इतनी-सी बात से ही 

वह परेशान कितना होती है 

रसोई में माँ का हाथ बँटाती 

भाई के साथ घूम मचाती 

पापा की प्यारी गुड़िया रानी

आँगन को है चहकाती 

सोच कर बार-बार उस घड़ी को  

एक माँ का दिल बैठा जाता हैं  

करूँगी विदा कैसे  

इस कलेजे के टुकड़े को

नाज़ों में पली रानी बिटिया को

संसार का सारा सुख 

डाल दूँ उसकी झोली में 

दिल ये चाहता है ।

 ● रीना अग्रवाल,

सोहेला (उड़ीसा)