आखिरकार वही हुआ, जिसका अंदेशा था। लखीमपुर मामले में देर से ही सही, लेकिन सही दिशा में काम हुआ है। मंत्री का बेटा अपने रसूख में किसी को कुछ कर दे,और कोई कुछ न बोले,न लिखें ऐसा संभवतः हो सकता था,लेकिन हुआ नहीं।कानून का राज चला और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा सहित कई को जोड़ का झटका धीरे से लगा। प्रधानमंत्री के भव्य काशी , दिव्य काशी कारिडोर के लोकार्पण के साथ ही लखीमपुर खीरी कांड में नया खुलासा सुखद आश्चर्य से कम नहीं है। विधि के शासन पर जन आस्था एक बार फिर बहाल हुआ।
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष समेत सभी 13 आरोपियों पर साजिश रचकर हत्या करने और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। यह आदेश सीजेएम चिंताराम की विशेष अदालत ने जारी किया है।सवाल मौंजू है कि उत्तर-प्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले में दर्ज दो प्राथमिकियों की जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। एस आई टी ने स्पष्ट कहा कि यह रसूखदार लोगों का एक सुनियोजित साजिश था जिसमें निर्दोष किसान और पत्रकार की मौत हुई। सच पूछिए तो विगत 3अक्टूबर को जब यह कांड हुआ था,और जो वीडियो फूटेज आया था, उसे देखकर देश – दुनिया के लोग सिहर उठे थें। देश की बदनामी हुई थी । मध्ययुगीन बर्बरता की याद ताजा हो गईं थी। इस मुकदमे की नियति तो अभी अदालत में तय होनी है ,लेकिन यह बिडम्बना ही दिखा कि इतने बड़े कांड में भी पुलिस कई दिनों तक मुख्य आरोपी की तलाश करती रही और सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद ही उसने आत्मसमर्पण किया। गौरतलब तो है कि यह इकलौता मामला नहीं है,जब किसी रसूखदार आरोपी के आगे तंत्र की बेबसी उजागर हुई हो। अभी चंद दिनों पहले ही मुंबई पुलिस के पूर्व -कमिश्नर परमबीर सिंह भी कानून से आंख -मिचौली खेल रहे थे और सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण मिलने के बाद ही पूछताछ के लिए पुलिस के सम्मुख उपस्थित हुए। दरअसल ऐसी ही वारदातों के कारण पुलिस और जांच एजेंसियों की छवि जनता की निगाहों में धूमिल हुई है।
लोकतंत्र की सफलता और सरकारों का इकबाल इस बात से ही तय होता है और होगा कि तंत्र कितनी निष्पक्षता से काम कर रहा है। तंत्र की शुचिता ही जन-विश्वास और संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद है। गति है। शक्ति है। मान है । अभिमान है। 25 मई , 2020 को एक अश्वेत पुलिस अधिकारी जार्ज फ्लायड की अमेरिका में हत्या में जो सत्य , निष्ठा और ईमानदारी की सबूत जांच टीम और अदालत ने दिया वह दृष्टिकोण , नजरिया, पेशेवर दक्षता तथा कार्यशैली
का कायांतरण अपने मुल्क में भी जरुरी है। बेहतर भारत के निर्माण के लिए ऐसे पेशेवर तंत्र की जरूरत है,जो सिर्फ और सिर्फ जन-विश्वास और संविधान के प्रति वफादार और जबावदेह हो। और वह राजनीतिक प्रभाव से मुक्त हो।
खैर वक्त का तकाजा है कि एस आई टी की रिपोर्ट और अदालत की रूख के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देकर योगी- मोदी सरकार की छवि को बरकरार रखें। न्याय का दार्शनिक तकाजा भी है कि न्याय होना ही काफी नहीं है, न्याय होते दिखना भी चाहिए।
डॉ.हर्ष वर्द्धन
पटना बिहार
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