बिन साजन के सूना सब कुछ ,
सूना जग संसार !!
रीता घट भरना है मुझको ,
बहती है जलधार !!
दिन पहाड़ से लगते अब तो ,
काटे कटे न रात !
यादें भी अब साथ छोड़ती ,
सखियाँ सुने न बात !
धीरज भी अब धता बताए ,
सुनता कौन पुकार !!
भूल गये संदेश भेजना ,
मुझे प्रेम का रोग !
परदेसी यह प्रीत न भाये ,
कैसे सँहू वियोग !
राहों ने रुख ऐसा बदला ,
भूल गई मनुहार !!
पल बैरी हैं ,श्वांस परायी ,
जीना हुआ मुहाल !
तन मन की रंगत फीकी सी ,
उठते कई सवाल !
कहने को तो कटे उमरिया ,
कटते दिवस न चार !!
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
9425428598