अंतस में जब शूल बिंधे हों,
शरशैय्या पर फूल सजे हों,
मन में दुख के साज बजे हों,
कैसे प्रणय राग मैं गाऊँ
कैसे नूतन वर्ष मनाऊँ?
व्यथित हृदय में कोलाहल हो,
समस्या का नहीं मिलता हल हो,
दुख पहिया चलता अविरल हो,
कैसे गंतव्य तक मैं जाऊँ
कैसे नूतन वर्ष मनाऊँ?
रोग व्याधि से पीड़ित काया,
सुख की मिलती क्षणभर छाया,
झूठे रिश्ते-नाते, मोह-माया,
किसको जीवन सखा बनाऊँ
कैसे नूतन वर्ष मनाऊँ?
सागर पीकर देह है प्यासी,
दृगों में वेदना की उदासी,
मृत्यु लोक के हम सब वासी,
कैसे अमरत्व-उपहार मैं पाऊँ
कैसे नूतन वर्ष मनाऊँ?
पाप से मुक्त जब होवे वसुधा,
दूर होवे जब मन की दुविधा,
उर के व्योम से बरसे जब सुधा,
तन-मन पुलकित मैं कर जाऊँ
तभी नूतन वर्ष मनाऊँ।
प्रीति चौधरी”मनोरमा”
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश