अज्ञान तिमिर हर, बीते साल के
नववर्ष का आगमन हो
रात्रि की अराजकता को ध्वंस कर
नव स्वप्न फिर जागृत हो
मधुर प्रेम में डूबे सब हो
उषा का गीत, मधुरमय हो
मंदिर की घंटी और
मस्जिद का अज़ान लिये,
नववर्ष का आगमन हो
गुरुद्वारे की गुरुवाणी से
या यीशु की कुर्बानी से
नवयुवक में परिवर्तन हो
ईश्वर की कृपा लिए
नववर्ष का आगमन हो
ना लुटे अबला की गरिमा
ना वृद्धाश्रम में अपने हो
ज्ञानामृत बरसा धरा पर,
नववर्ष का आगमन हो
सरोवर में खिले कमल सा
मानव जन का जीवन हो
प्रफुल्लित, आनंद से विभोर,
नव जीवन का आगमन हो
एकता भाव से परिपूर्ण
सत्यं, शिवं, सुन्दरं का भी
हो नित-नित आराधना
गीता, वेद, कुरान, बाइबिल से
जन-जीवन का उत्थापन हो,
अभिलाषा और अरमान लिए ,
नववर्ष का फिर आगमन हो
नववर्ष का फिर आगमन हो।
● प्रिया सिन्हा
रांची (झारखंड )/दिल्ली