राजनीति का फन्दा

जमुना डूब रही है

कान्हा गन्दे नाले में

राजनीति के पाले में ना।

खाए बैठ मलाई नेता

पीवे गन्दा पानी जनता

वादे-नारे हैं सब बन्द

चुनावी ताले में

राजनीति के पाले में ना।

मुफ्त वीरन में हैं वो बीस

आफत काल निपोरैं खीस

तरक्की लेती है हिचकोले

ऊँचे-खाले में

राजनीति के पाले में ना।

बतावे ख़ुद को ईमानदार

लजाते नहि चोरों के सरदार

बेशर्मी नाँच रही है

दुपहरिया के उजाले में

राजनीति के पाले में ना।

करो अब महाधर्म संग्राम

बचालो अपने चारों धाम

गङ्गा आन फँसी हैं आज

असुर के जाले में

राजनीति के पाले में ना।

– आर. आर. झा (रंजन)

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