दूरियाँ बहुत है
मुझमें और उनमें
फासले भी बहुत है
मुझमें और उनमें
अनजान रिश्तों में बंधे है
न चाहकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
न वो झुक रहे है
न हम झुक रहे है
रिश्ते तार-तार हो गए है
अजीब कश्मकश में उलझ गए है
फिर भी एक आस में बंधे है
टूटकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
न कोई ख्वाहिश बची है
मुझमें और उनमें
न कोई गुज़ारिश है
मुझमें और उनमें
फिर भी अनोखे सफर पर चल दिए है
बिना साथ के ही फर्ज़ निभा रहे है
अजीब नुमाइश में बंधे है
दूर होकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
काफ़ी विरोध है
मुझमे और उनमें
वो रिश्तों की अहमियत भूल चुके है
हम रिश्तों की नज़ाकत समझ चुके है
फिर भी अनकहीं जज़्बात में बंधे है
बिना कहें ही एक दूसरे संग जुड़े है..
*संध्या जाधव, हुबली कर्नाटक
दूरियाँ बहुत है
मुझमें और उनमें
फासले भी बहुत है
मुझमें और उनमें
अनजान रिश्तों में बंधे है
न चाहकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
न वो झुक रहे है
न हम झुक रहे है
रिश्ते तार-तार हो गए है
अजीब कश्मकश में उलझ गए है
फिर भी एक आस में बंधे है
टूटकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
न कोई ख्वाहिश बची है
मुझमें और उनमें
न कोई गुज़ारिश है
मुझमें और उनमें
फिर भी अनोखे सफर पर चल दिए है
बिना साथ के ही फर्ज़ निभा रहे है
अजीब नुमाइश में बंधे है
दूर होकर भी एक दूसरे संग जुड़े है
काफ़ी विरोध है
मुझमे और उनमें
वो रिश्तों की अहमियत भूल चुके है
हम रिश्तों की नज़ाकत समझ चुके है
फिर भी अनकहीं जज़्बात में बंधे है
बिना कहें ही एक दूसरे संग जुड़े है..
*संध्या जाधव, हुबली कर्नाटक