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मीत मेरे बैठी हूं कब से
तुम्हारे इंतजार में …….
है शाम सुहानी मस्तानी
आऐ नहीं अभी तलक तुम
पल पल गुजर रहा इंतजार में…
पत्थरों से आवाजें
रह रह कर पुकार रही
सदाएं पलकें बिछा रही
हवाएं हमारे इश्क के
नगमें गुनगुना रही…..
शाखों की टहनियां लिख रही
इबारतें टेसू के रंगों से
प्रेमपत्र के पत्तों पत्तों पर
अंकुरण हुआ जहां प्यार के
मेरे तुम्हारे ढ़ाई आखर का …
बस यहीं बैठी हूं
यादों के सहारे इंतजार में….
कुछ आहट हुई तन मन में
पत्तों की सरसराहट से
जैसे तुम आ ही गये हो
बदली की तरह ह्दय के द्वार तक……
– रुबी माधव