दृष्टिभ्रम

दृष्टिभ्रम/मतिभ्रम/निर्मूलभ्रम

कहने को ये सभी भ्रम के पर्यायवाची हैं 

जिनका प्रयोग एक मनोचिकित्सक 

अपने रोगी के हिसाब से करते हैं 

पर इन दिनों ये बीमारी 

करोना को भी मात दे रही है 

मेरा एक अभिन्न मित्र भी इनदिनों 

दृष्टिभ्रम का शिकार है 

पर मेन्टल पेशेंट कहने पर 

उसे बेहिसाब गुस्सा आता है 

जबकि उसका डाक्टर साइकेटरिस्ट है 

एक दिन मैने उससे पूछ ही लिया 

भाई तुम्हे क्यों बुरा लगता है 

उसने छूटते ही कहा 

मुझे ब्रांड के रुप मे देखा जाना 

कत्तई पसंद नहीं है 

पर दुनिया तो ब्रांड की दिवानी है

मित्र दोनौं में खासा अन्तर है 

कभी खुद को मेरी जगह रख कर सोचना 

चलो तुम्हारी बात मान लेता हूँ 

पर यह बताओ तुम इसके शिकार हुए कैसे 

मित्र यह एक संक्रामक रोग है 

जो भीड़ भाड़ में रहने से बढ़ता है 

और शॉपिंग का माहौल तो ऐसा ही होता है

पर इस बीमारी का शॉपिंग से क्या ताल्लुक

बिलकुल है मेरे मित्र 

इसका कीड़ा मंहगाई में से फलता फूलता है 

ज्यों ज्यों महंगाई बढ़ती है 

केस की संख्या बढ़ती जाती है 

शायद तुम समझ नहीं पा रहे हो

नहीं यह समीकरण मेरी समझ से परे है 

मैं तुम्हे समझता हूँ 

जब हम शॉपिंग के लिए जाते हैं तो 

हमारे ज़हन में चीजों के मूल्य का 

एक मानक पूर्व निर्धारित होता है

पर बाजार की स्थिति इसके उलट होती है जो 

चीजों के मानक मूल्य से बिलकुल मेल नहीं खाती 

नतीजतन ज़हन में एक रासायनिक प्रतिक्रया होती है 

और हम इस रोग के शिकार हो जाते हैं 

वेतन से महीने के खर्च के नहीं पूरा होने का अज्ञात भय 

इसे और हवा देता है 

हम घर से लेने के लिए कुछ और निकलते हैं 

और लेकर कुछ और चले आते  हैं 

हर महीने बनने वाला घाटे का बजट 

रही सही कसर भी पूरी कर देता है 

हमे बाज़ार जाने से डर लगता है 

चीजों की कीमत पूछने से डर लगता है 

और जब यह मर्ज़ बेकाबू हो जाता है 

तो हमें चिकित्सक की शरण में जाना पड़ता है 

यानी हम पर दोहरी मार पड़ती है 

कभी वक़्त मिले तो सोचना 

और आसपास देखना 

हजारों की संख्या में मरीज दिखेंगे 

अब तुम बताओ मुझे 

मैँ कितना गलत हूँ 

मैं कितना सही हूँ 

राजेश कुमार सिन्हा 

बान्द्रा(वेस्ट),मुम्बई-50