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गंगा जैसी निर्मल हिन्दी
सीधी साधी सुन्दर बोली
समकी प्यारी भाषा हिन्दी
भारत माँ! की बिन्दिया हिन्दी।
देश- विदेश में बोली जाती
सबके मन में बसती हिन्दी
हिंदी सबकी लगती प्यारी
हर मनको भा जाती हिन्दी।
जहाँ भी जाये पंथी जग में
साथ सभी के रहती हिन्दी
टूटी- फूटी भी बोले तो
सभी समझते भाषा हिन्दी।
नभ जैसे विस्तार है हिन्दी
धरती की प्यारी बेटी हिन्दी
माँ! की प्यारी बोली हिन्दी
हम सबकी अरमान है हिन्दी।
● संगीता ठाकुर, काठमाडौं (नेपाल)