काश मैं तुम्हारी माँ हो पाती,
हृदय में मीठे-मीठे अहसास जगाती
रात को लोरी सुनाती,
सुबह दूध रोटी खिलाती।
अपने हृदय से मैं ,तुम्हें लगाती।
काश मैं तुम्हारी माँ हो पाती।
अच्छे बुरे का ग्यान कराती
अपनी मातृत्वता की छांवमें
तुम्हें सुलाती।
और नित नये व्यजन रोज
खिलाती ।
अपने हृदय का सब तुम पर प्यार
लुटाती।
काश मैं तुम्हारी माँ हो पाती।
जीवन जीने के गुर सिखाती
तुम्हारे लिए दुनिया से ही क्या,
तुम्हारे पापा से भी लड़ जाती
काश में तुम्हारी मां हो पाती।
तुम्हारे लिए ही ख्यालों में,
बडे़-बडे़ महल सजाती।
उर की गठरी खोल
सब कुछ न्यौछावर कर जाती।
काश मैं तुम्हारी माँ ह़ो पाती।
तुम्हारे लिए सुगम राह बनाती
करती प्रोत्साहित मैं
,आगें बढ़ने को।
उर के सब सिंचित मोती
तुम पर सहज लुटाती
काश मैं तुम्हारी माँ हो पाती।
तुम्हारी आँखों के आँसू पोंछ पाती
तुम्हारी एक मुस्कान पर मैं,
प्रफुल्लित हो जाती।
काश में तुम्हारी माँ हो पाती।
यू.एस.बरी
लश्कर,ग्वालियर,मध्यप्रदेश।