एक ही इलेक्ट्रॉनिक बस को दो-दो बार विज्ञापन के माध्यम से शुरू करने का काम केजरीवाल सरकार ने किया-आदेश गुप्ता

नई दिल्ली । प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार डीटीसी बसों को बेचने का काम कर रही है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता को सपने दिखाने और झूठे वादे करने की सबसे बड़े सौदागर हैं। उन्होंने कई वायदे तो किये लेकिन वह चुनावी जुमला बनकर रह गया। कभी उसे पूरा करने की जहमत नहीं उठाई। डीटीसी बसों की जर्जर स्थिति कर दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद करने का काम पिछले 7 सालों में केजरीवाल सरकार ने किया है। आज नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के साथ संयुक्त प्रेसवार्ता में श्री गुप्ता ने कहा कि 7 साल पहले जब केजरीवाल ने सत्ता संभाली थी तब दिल्ली में डीटीसी बसों की संख्या पूरे 6500 थी और उस समय इन्हें उतनी बसें कम लग रही थी तो केजरीवाल ने वायदा किया था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है तो 11000 नई डीटीसी की बसें और इलेक्ट्रिक बसें देंगे लेकिन आज 7 साल बाद की स्थिति यह है कि उन बसों की संख्या सिर्फ 3760 बच गई हैं। एक आरटीआई के तहत इस बात का खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार ने पिछले 7 सालों में बसें खरीदने की जगह 2000 से ज्यादा बसे बेच दी है।
श्री गुप्ता ने कहा कि जब बसों की संख्या 6500 से 3760 हो गई है तो बाकी के बसों के ड्राइवर और कंडक्टर कहाँ गये? उनके लिए सरकार ने क्या किया? उसका ब्यौरा सरकार को देना चाहिए। जबकि आज दिल्ली में पूरे 15000 बसों की जरूरत है। साथ ही डीटीसी के कर्मचारियों की सैलरी उतनी ही जा रही है। उसमें किसी प्रकार की कमी नहीं हुई है। ऐसा तो नहीं कि केजरीवाल सरकार के मंत्री उन सभी बसों के ड्राइवर एवं कंडक्टर के पैसे अपनी जेब में भर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2 नवंबर 2018 को ’आप’ द्वारा एक ट्वीट करके कहा गया कि आज इलेक्ट्रॉनिक बस का फ्लैग ऑफ परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा किया गया जबकि 17 जनवरी 2022 को अरविंद केजरीवाल दिल्ली वालों को पहली इलेक्ट्रॉनिक बस का उद्घाटन करते हुए बधाई देते हुए एक ट्वीट किया। जब 2018 में इलेक्ट्रॉनिक बस का फ्लैग ऑफ गहलोत जी द्वारा कर दिया गया तो 2022 में अरविंद केजरीवाल दिल्ली को पहली इलेक्ट्रॉनिक बस क्यों देने लगे। प्रेस वार्ता में मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल, प्रवक्ता हरीश खुराना एवं खेमचंद शर्मा उपस्थित थे।
श्री गुप्ता ने कहा कि आज दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली को प्रदूषण युक्त प्रदेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बसों से प्रदूषण होने का जब भाजपा ने पूरी दिल्ली में विरोध किया तो प्राइवेट बसों का हवाला देकर अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण खत्म करने का नया नाटक विज्ञापनों के माध्यम से शुरू कर दिया जो सिर्फ बड़े-बड़े पोस्टरों में प्रदूषण मुक्त होने की बात होती रही और जमीनी हकीकत यह है कि दिल्ली पहले से ज्यादा प्रदूषण युक्त हो चुकी है। और दिल्ली की परिवहन व्यवस्था पूरी तरह से जर्जर हो गई है।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि साल 2015 में केंद्र सरकार ने 40 इलेक्ट्रॉनिक बस खरीदने का फैसला किया जिसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार ही वहन करती लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसे मना कर दिया। आज परिवहन विभाग में स्थिति यह है कि डीटीसी के बेड़े की 3,754 बसो में से अधिकतर बसों की अपनी उम्र पिछले साल सितंबर में ही पार कर चुकी हैं। ये बसें चलाना सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत खतरनाक है। होना तो यह चाहिए था कि इन पुरानी बसों को सड़कों से हटाकर इनकी जगह नई बसें लाई जानी चाहिए थी लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार एक भी नई बस नहीं खरीद सकी। उन्होंने कहा कि इसके बाद परिवहन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 400 इलेक्ट्रॉनिक बसों को देने की बात कही। लेकिन एक भी बस नहीं ली गई और आज एक बस लाकर उसके प्रचार में करोड़ो रूपये खर्च करने में लूटा रहे हैं।
श्री बिधूड़ी ने कहा खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया है कि दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और इस प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण परिवहन विभाग है।दिल्ली में पिछले 7 सालों में एक भी बस नहीं खरीद पाई और दिल्ली में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से और स्थिति बदतर हो गई। पीडब्ल्यूडी की सड़कों के टूटे होने से वाहन चलने पर सबसे ज्यादा धूलकण उड़ने से प्रदूषण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली नहीं संभल रही है तो दिल्ली के मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपनी कुर्सी से इस्तीफा दे देना चाहिए।