बसंत 

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आया मनभावन बसंत 

पीली – पीली  हुई धरा 

गोरी   का   चित्त  हरा 

आया मनभावन बसंत 

पग   ढगमगाए   संत 

आकर्षित  करे यौवन 

सुगंधित हुआ तन-मन

आया मनभावन बसंत 

अज्ञान  का  करो अंत

खोल  लो   चक्षु  ज्ञान

मिलेगा  अमर  वरदान 

आया मनभावन बसंत 

आया मनभावन बसंत 

संघर्ष    हो   फलीभूत 

मिटे    तमभरी     रात 

आया मनभावन बसंत 

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

ग्राम रिहावली, डाक तारौली, 

फतेहाबाद, आगरा, 283111