बेरोजगारी भत्ता ऑन डिमांड

बसंत और मधुमास आ गया प्रेमियों का प्रतीक्षातीत समय फरवरी आ गया ।हर तरफ फूल खिलने प्रारंभ हो गए हैं और लोग प्रेम के गीत गाने शुरू भी कर चुके हैं पर मैं एक बेरोजगार प्रेमी इस महीने को देखकर ही कांप जाता हूं !क्योंकि मेरे प्रेम के राह में सबसे बड़ा कांटा मेरी बेरोजगारी है ।अब पहले का समय नहीं रहा जिसमें प्रेमिका है सिर्फ एक फूल पाकर ही खुशी से गदगद हो जाती थी अब जमाना बदल चुका है ढेरो डिमांड होती हैं आज की हाईटेक प्रेमिकाओं की ..अभी रोज डे बीता है रोज डे से याद आया इस गुलाब ने पहले ही मेरी जेब का गुलकंद बना रखा है रोज डे के दिन मार्केट में गुलाब के भाव आसमान छूते हैं जो मेरी जेब से बाहर है क्योंकि मैं बेरोजगार हूं जेब खर्च के पैसों से गेंदे का फूल तो खरीद सकता हूं लेकिन गुलाब डे के दिन एक सुंदर सा गुलाब नहीं अंततः मुझे अपनी प्रेमिका के बगीचे से ही गुलाब चोरी कर प्रेमिका को देना पड़ा।

गुलाब दे तो निपट गया पर आगे चॉकलेट डे ,टेडी डे इन सारे डे को मैं कैसे निपटाउगा  यही सोचकर पतझड़ के पत्ते के जैसे पीला हुआ जा रहा हूं । घर से पैसे मिलने की कोई संभावना ही नहीं है क्योंकि महंगाई ने पहले ही घर वालों की हालत पतली कर रखी है घर में पैसे मांगने पर पैसे मिले या ना मिले लेकिन पिताजी से जूता पूजाई जरूर हो जाएगी। और दोस्तों से भी मिलने की संभावना नहीं है दोस्तों से पहले ही इतना उधार ले लेकर खर्चा कर चुका हूं कि दूर से ही देख कर गरियाने लगते हैं ।

ले देकर मेरी उम्मीद शासन से बची है मेरी शासन से दो गंभीर मांग है

1—-पहला कि हम बेरोजगारों को वैलेंटाइन डे का भत्ता दिया जाए ताकि कम से कम नौकरी ना सही कम से कम एक खुशी तो हम लोग के जीवन में रहे और हमारी प्रेम की बगिया मुस्कुराती रहें और हम प्रेम के गीत गाते रहे।

2—-और दूसरा मांग है इस दिन पुलिस वालों से हमारी सुरक्षा की जाए पुलिस वाले इस दिन एक्स्ट्रा मेहनत करके हम लोग के वैलेंटाइन का कचूमर निकाल देते हैं बहुत बेदर्दी से पीटते हैं दौड़ा-दौड़ा कर… ऐसा लगता है जैसे इन लोगों को कभी प्यार हुआ ही नहीं होगा  खुन्नस खाए रहते हैं।

सरकार से यही हमारी दो बस गंभीर मांगे हैं!! उम्मीद है वोट लेना है तो हम युवाओं की मांगे सुनी जाएगी और गंभीरता से सुनी जाएगी।

रेखा शाह आरबी

बलिया (यूपी)