अब हिंदी-अंग्रेजी दोनों विषयों में होगी एमबीबीएस की पढ़ाई

अगले सत्र से सभी 13 मेडिकल कालेजों में पढाया जाएगा हिंदी में
भोपाल । मध्यप्रदेश में अब एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी-अंग्रेजी दोनों विषयों में होगी। छात्र अपनी सुविधा अनुसार हिंदी-अंग्रेजी विषयों का चयन कर सकेंगे। सबसे पहले इसकी शुरुआत भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज (जीएमसी) से हो रही है। अगले सत्र से प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रथम वर्ष में इसे लागू किया जाएगा। जीएमसी में इसी सत्र से हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की जाएगी। प्रयोग के तौर प्रथम वर्ष में एनाटामी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री की पढ़ाई हिंदी में कराई जाएगी। हालांकि, विद्यार्थियों को यह विकल्प रहेगा कि वह हिंदी में पढ़ाई करें या अंग्रेजी में। एक साथ दोनों माध्यम वाले छात्रों की कक्षा लगेगी। चिकित्सा शिक्षक हिंदी और अंग्रेजी की मिलीजुली भाषा का उपयोग व्याख्यान देनें में करेंगे। हिंदी माध्यम पसंद करने वाले विद्यार्थियों को हिंदी की किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। यह काम अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को सौंपा गया है। इसके लिए एक मुख्य समिति बनाई गई जिसमें 14 विशेषज्ञ हैं। इनके नीचे दो उपसमितियां बनाई गई हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पाठ्यक्रम में किसी तरह से बदलाव नहीं किया जा रहा है न ही पुस्तकें बदली जा रही हैं। इस कारण नेशनल मेडिकल कमीशन से मंजूरी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। इसके अलावा परीक्षा देने के लिए छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी दोंनों में कोई एक या मिलीजुली भाषा लिखने को लेकर मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में 2018 से ही व्यवस्था है। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी कि हिंदी माध्यम वाले विद्यार्थियों को सवालों का जवाब लिखने में सुविधा हो जाएगी। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि जीएमसी यह व्यवस्था लागू करने के बाद नतीजे देखकर अन्य कालेजों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से हिंदी माध्यम वाले छात्रों को पढ़ाई में आसानी हो जाएगी। मंत्री ने कहा कि मातृभाषा में कोई पढ़ाई कराई जाती है तो वह ज्यादा प्रभावी होती है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि किसी भी राज्य में एमबीबीएस की पढ़ाई अभी हिंदी में नहीं हो रही है। मध्य प्रदेश में जीएमसी पहला कालेज होंगा जहां यह व्यवस्था लागू की जा रही है। अगले सत्र से प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रथम वर्ष में इसे लागू किया जाएगा। हिंदी माध्यय से पढ़ाई कर आने वाले विार्थियों के लिए एमबीबीएस प्रथम वर्ष में अंग्रेजी किताबों से पढ़ाई करनी पड़ती है। उसमें भी कठिन शब्द होते हैं। इस कारण उन्हें परीक्षा पास करने में मुश्किल आती है या रिजल्ट कमजोर आता है।