यूपी में इस बार के विधानसभा का चुनाव पूरी तरह से “यूपी में का बा ” नामक आधुनिक राजनीतिक मंत्र की चपेट में है. विपक्ष तो इस मंत्र को इतने मनोयोग से सुन रहा है कि, क्या इतने मनोयोग से कभी इनकी “किसी पीढ़ी के व्यक्ति ने वैदिक मंत्र को सुना होगा”.लेकिन,इस सफलतम राजनीतिक मंत्र के बाद भी यू.पी. की “जनता के मन में का बा” का विश्लेषण या आकलन परिणाम आने से पूर्व प्रस्तुत करना, ठीक वैसे ही होगा, जैसे किसी ” जातिगत मतदान करने वाले टॉप रैंक के बेवकूफ व्यक्ति से निरर्थक राजनीतिक शास्त्रार्थ करना”.
वैसे भी इस सीजन को हम जैसे कुछ एक विद्वान प्रजाति के व्यक्ति, 4 वर्ष के बाद पड़ने वाला एक ऐसा सीजन मानते हैं, जिसमें किसी भी व्यक्ति या मतदाता के बेवकूफ बनने की सर्वाधिक संभावना बनी रहती है, एक तरह से देखा जाए तो अब यह लक्षण कमोबेश यहां के लोगों में दिखाई भी पड़ने लगा है,और लोग एक-एक कर राजनीतिक बेवकूफ बनते भी जा रहे हैं.नहीं तो बताइए! क्या आपने कभी बसंत के बाद और होली के इर्द-गिर्द “प्यार और मोहब्बत के रोमांटिक मंत्र के महिने में” इस दो कौड़ी के राजनीतिक मंत्र “यूपी में का बा” को सुनते हुए देखा है.मुझे तो अब इस आधुनिक राजनीति मंत्र के इतना ज्यादा सुपरहिट हो जाने की वजह से एक सौतिया डाह नामक चर्चित मानसिक बीमारी हो गई है.और हो भी क्यों ना जब ” यूपी में का बा” पर लोग कविता लिख रहें है, गीत लिख रहें है और ऐसे गा रहें है की जैसे ये “राजनीति के मॉडर्न मोहम्मद रफ़ी और अनुराधा पौडवाल हो”.
ऐसे में फिर हमारा व्यंग्य लेखन कैसे पीछे रह सकता है, इसीलिए मैंने भी कुछ दिन तक राजनीतिक बुद्धि की गुफा में घनघोर मानसिक तपस्या की और उसी तपस्या के परिणाम स्वरूप हमने व्यंग्य के शब्दों की जड़ी बूटी को मिलाकर एक ऐसे मंत्र का निर्माण किया है जो कि,च्यवनप्राश की तरह आपको फायदा करेगा. बस! आप दिन में कम से कम दो बार इस व्यंग्य रूपी च्यवनप्राश का सेवन करें, इससे आपके मन मस्तिष्क से इस प्रदूषित मंत्र ” यूपी में का बा” से निजात मिलेगी.
इतना ही नही बल्कि 10 मार्च को चुनाव परिणाम आ जाने के बाद जिस किसी भी पार्टी की सरकार हमारे उत्तर प्रदेश में बनती है वह इस बार हाइस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में,” यूपी में का बा” नामक इस चर्चित आधुनिक राजनीतिक मंत्र पर एक ललित निबंध का प्रश्न भी बोर्ड परीक्षा में शामिल करवाएं, ताकि भविष्य में, चुनाव के आसपास इतने उच्च कोटि के राजनीतिक मंत्र ज्यादा से ज्यादा लिखे और सुने जा सके, बल्कि संभव हो तो ” यूपी में का बा” नामक एक शोध ग्रंथ लिखवाकर उत्तर- प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय से इस ” यूपी में का बा” नामक सर्वाधिक चर्चित विषय पर छात्रों से पीएचडी भी करवाई जाए ताकि वे इस तरह के “राजनीतिक मंत्र” के अध्ययन के पश्चात अन्य विषयों के डॉक्टर की तरह अपने नाम के आगे सम्मान पूर्वक डॉक्टर लिख सके.इस व्यंग्य के इतिसिद्धम या आखिर में आइए हमारे साथ आप भी इस आधुनिक राजनीतिक मंत्र का जाप करें कि ” यूपी में का बा”.
रंगनाथ द्विवेदी
जज कॉलोनी, मियांपुर
जिला-जौनपुर 222002 (U P )
Mo. No.7800824758