इन्दौर । प्रेम और विश्वास की महागाथा है प्रभु श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन। मन में पवित्रता एवं शुभता हो तो हमारे जीवन में भी श्रीराम की तरह कभी अपयश नहीं आ पाएगा। राम का जीवन चरित्र हम सबके लिए प्रेरणा और ऊर्जा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जहां उन्होंने वनवास काल में केवट को भक्त, जटायु को पिता, शबरी को मां, सुग्रीव को जननायक और हनुमान को सेवक के रूप में स्वीकार कर हमें संदेश दिया है कि संसारी के रूप में हमें भी ऐसा जीवन जीना चाहिए। राम वन (जंगल) गए तो भगवान बन गए, अन्यथा उनकी गौरव गाथा अयोध्या के राम तक ही सीमित रह जाती।
ये दिव्य और प्रेरक विचार हैं विदुषी मानस मर्मज्ञ गीता बहन के, जो उन्होंने एकल श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा गीता भवन में आयोजित श्रीराम कथा में विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या के दौरान व्यक्त किए। कथा में शिव विवाह एवं राम जन्म के जीवंत उत्सव भी मनाए गए। कथा शुभारंभ के पूर्व वनबंधु परिषद के नरेन्द्र सिंघल, राष्ट्रीय सचिव गीता मूंदड़ा, समाजसेवी पुष्पा मित्तल, किशनलाल ऐरन, अरुण चोखानी, नगीन गोयल, रसनिधि कुमार गुप्ता, श्रीहरि सत्संग समिति के सी.के. अग्रवाल, रामविलास राठी, अंशु अग्रवाल, श्रीमती कमल राठी, सुषमा चौधरी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। श्री राम जन्मोत्सव में समिति सदस्यों के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने शामिल होकर भावपूर्ण प्रस्तुतियां दी। भक्तों को उपहार भी बांटे गए। कथा व्यास गीता बहन की अगवानी ममता न्याती, मनीषा झंवर, सुधा राठी, संगीता मंडोवरा, मंजू गुप्ता, सुनंदा लड्ढा, रुचि ब्रजवासी, भारती अग्रवाल, सुधा मोहता ने की। पानीपत से आई साध्वी ब्रह्मज्योति ने भी आज कथा में आकर व्यासपीठ का पूजन किया। कथा का समापन शनिवार 30 अप्रैल को दोप. 4.30 से सायं 7 बजे तक विभिन्न प्रसंगों की कथा एवं राम राज्याभिषेक उत्सव के साथ होगा।
मूलतः उड़ीसा की वनवासी गीता बहन ने कहा कि राम कथा छोटे से छोटे व्यक्ति को सम्मान और स्नेह देना सिखाती है। यदि हम भी वनवासी समाज को सम्मान देने का आदर्श स्थापित करना शुरू दें तो जरुरत पड़ने पर वे अपने भाई-बहनो के लिए सब कुछ न्यौछावर कर सकते हैं। वनवासी बंधुओं को दिया गया प्रेम और सम्मान भी देशभक्ति का ही परिचायक होगा।
संलग्न चित्र –
इन्दौर। गीता भवन में चल रही राम कथा में शिव विवाह का उत्सव मनाते श्रद्धालु। दूसरे चित्र में राम जन्म उत्सव मनाते श्रद्धालु।