पद्मासना

आराधना करूँ, देवी पद्मासना ।

मैं उपासना करूँ, देवी पद्मासना ।

मेरे अधरों में , सुर बनके बैठो हे माँ,

स्वर साधना करूँ, देवी पद्मासना ।

आराधना करूँ ……

स्वर की देवी कहूँ, सुरपूजिता हो तुम।

धवल वसन धारिणी, परमपुनिता हो तुम।

तान वीणा की जैसे, सुरसरिता बहे ,

तेरी वंदना करूँ, देवी हंसासना ।

आराधना करूँ ……

वाग्देवी, रमा, तू वारिजासना।

सुरवन्दिता तू ही, मां पद्मलोचना।

ध्यान तेरा धरूँ, मां ध्यान मेरा रखो, 

मैं प्रार्थना करूँ, देवी श्वेतासना।

आराधना करूँ ……

वाणी, संगीत हो, भाषा वेदों की तुम ।

अज्ञानी हूँ मैं, मां ज्ञान दे दोगी तुम।

अब तो विनती मेरी भी स्वीकारो हे मां, 

जिस भावना कहूँ, देवी पद्मासना।

आराधना करूं ……

उषाकिरण निर्मलकर

(व्याख्याता अंग्रेजी)

 धमतरी (छ. ग.)

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