वह कल जैसी हो गई

कल की ही बात थी

लोग महिलाओं के अधिकारों की खूब बातें कर रहे थे

बड़े-बड़े सेमिनार,बड़े-बड़े आयोजन

बड़ी-बड़ी रैलियाँ,सम्मान समारोह आयोजित किये गए।

कल ऐसा लग रहा था

जैसे वास्तव में स्त्रियाँ अब

देवी हो जाएंगी

अब बदलाव जरूर आएगा

धरती स्वर्ग बन जाएगी

कवियों का साहित्यिक प्रयास रंग लाएगा।

चारों तरफ खुशी का माहौल था

महिलाएं अबीर-गुलाल उड़ा रही थी

संग-संग नृत्य कर रहीं थीं

मनभावन दृश्य था।

लोग अपने भाषणों में महिला हिंसा,बाल विवाह,

 कन्या भ्रूण हत्या,दहेज हत्या नहीं करने की कसमें खा रहे थे।

ऐसा लग रहा था जैसे सभी विवेकी हो गए हैं

महिलाओं का शोषण अब समाप्त  हो जाएगा

हर्षित समाज हो जाएगा

धरती पर स्वर्ग उतर आएगा।

नेता,सामाजिक कार्यकर्ता,कवि- कलाकार,

पुलिस-अफसर और सरकार

सभी एकजुट होकर कर रहे थे महिला सम्मान-अधिकार की बातें।

मगर आज जब अखबार खोला तो सबसे पहले

जिस खबर पर पड़ी नजर

वो थी,”नाबालिक के साथ गैंग रेप”

“माँ के सिर पर कुल्हाड़ी से पुत्र ने किया वार”

मॉर्निंग वॉक करते समय जज को झाड़ी में मिली 

नवजात(कन्या)की शव”

 महिला के साथ रेप”

“दहेज की बलि चढ़ी नई दुल्हन”

“प्रेमी ने प्रेमिका के चेहरे पर फेंका तेजाब”

“तंग आकर एक महिला ने एक साल की 

दुधमुंही को ले कुएं में कूदी,दोनों की मौत

पति पत्नी का सिर काटा ले आया थाने।

कल की ही बात है

अखबार के समाचार

विश्व महिला दिवस को मुँह चिढ़ा रहा था

महिला सम्मान की बातें चोंचली लग रही थी

सभी दावों पर किरासन तेल गिर गया था

कथाकथित पुरुष वर्ग उसमें माचिस लगा रहे थे

आकाश स्तब्ध था

बुद्धिजीवी शर्म से पानी-पानी थे

कवि पुनः कविता लिख अपना विरोध प्रकट कर रहे थे

मंच पर कलाकारों की आँखें नम थी

नेता विरोध में सड़क जाम कर रहे थे

पुलिस खानापूर्ति कर रही थी

महिला संगठनों को मुद्दा मिल गया था

कल की जो बात थी

वह कल जैसी हो गयी थी

आत्मा महिला की खुद पर व्यंग्य कर रही थी।

 महेश’अमन’ रंगकर्मी सह व्याख्याता

आर के महिला कॉलेज, गिरिडीह झारखण्ड