बुद्ध बनने की चाहत में तू जिसे सोता छोड़ आया है !!
कुछ पाने की चाहत में जिसे रोता छोड़ आया है!!
ढूंढते होंगे तुझे जिसके काजल वाले नैन
तेरी यादों में जो होगी हर पर बेचैन,!!
वह आज भी माथे पर तेरे नाम का सिंदूर सजाती होगी ।
सबके सामने मुस्कुराती हो पर अकेले में आंसू बहाती होगी !!
उसके चेहरे की लालीमा हर दिन पीली पड़ती जाती होगी !!
सारे घर के दरवाजे बंद हो पर मन के द्वार की कुंडी ना लगाती होगी!!
जिसकी सखियां ठिठोली कर तेरा नाम
ले लेकर उसे आज भी चिढ़ाती होगी!!
हल्की सी आहट होने पर वह तेरे लिए नींद से जाग जाती होगी !!
ज्यौ दीपक की बाती जलती है,
यशोधरा बाती की भांति तिल तिल कर
जलती जाती होगी।
तुमने बुद्ध बनकर बुद्धत्व को पा लिया
पर यशोधरा ने राहुल को।
ममत्व देने के लिए स्वयं को मिटा लिया!!
रेखा राठौर सुसनेर,
जिला – आगर मालवा