क्या आज भी
तुम्हारे शहर में
बारिश
उतनी ही
हसीन है
जितनी तब
हुआ करती थी
जब हम साथ
भीगा करते थे
अपनी अपनी
छतों पर?
क्या आज भी
वो बारिश
उतनी ही
खुशनुमा है
जब कभी हम
साथ साथ खुश
हुआ करते थे?
क्या आज भी
बारिश के बाद
भीनी भीनी
मिट्टी की खुशबू
तैर जाती है
हवाओं में
जिसे हम तुम
घंटो साथ बैठकर
महसूस करते थे?
या फिर अब
बदल गया है
उस शहर में
बारिश का मौसम
वैसे ही जैसे
तुम बदल गए हो?
●डॉ.योगिता जोशी ‘अनुप्रिया’
झोटवाड़ा, जयपुर (राजस्थान)