भोपाल। कविता में अभिव्यक्ति देश, काल और परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। कविता सहज होना जरूरी है तभी आम पाठक तक पहुंच संभव हो सकेगी। हमारे आसपास, समाज, देश–दुनिया में क्या घटित हो रहा है यदि इससे बेखबर बंद एयरकंडीशनर कमरे में बैठकर कविताएं लिखी जा रही हैं, तो यह सब बेमानी हैं। उक्त उद्गार वरिष्ठ कवि एवं प्रशासन अकादमी, छत्तीसगढ़ के निदेशक त्रिलोक महावर ने स्वयं की ताजा पुस्तक ‘आज के समय में कविता’ के लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
उल्लेखनीय है कि ‘आज के समय में कविता’ का लोकार्पण एवं पुस्तक–चर्चा कार्यक्रम विश्वरंग’ के अंतर्गत वनमाली सृजन पीठ, भोपाल एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में कथा सभागार, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि त्रिलोक महावर ने बस्तर के जीवन–संघर्ष, दुःख–दर्द, जीजिविषा, प्रेम, करुणा, मनुष्यता की पक्षधरता को रेखांकित करती स्वयं की कई उत्कृष्ट कविताओं का अविस्मरणीय पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि-कथाकार, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल ने कहा कि कविता जब संगीत बन जाती है, तब वह सीधे आपके दिल में उतर जाती है। जब आपको चारों ओर से निराशा घेर लेती है, तब कविता ही सुबह की नई किरण की तरह आपको आश्वस्ति प्रदान करती है। इसी तरह त्रिलोक महावर की कविताएं खुरदरेपन के साथ मानवीय संवेदनाओं को सामने लाती हैं। उनकी कविताएं आपके दिल में एक मुक्कमल जगह बना लेती हैं।
इस अवसर पर संतोष चौबे ने कई नये युवा कवियों की कविताओं के माध्यम से आज के समय में युवा कवियों द्वारा लिखी जा रही कविता के विषय, चयन, दृष्टि और तेवर को शोधपरक दृष्टिकोण के साथ रेखांकित किया।
वनमाली सृजन पीठ भोपाल के अध्यक्ष, आईसेक्ट पब्लिकेशन के निदेशक एवं वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा ने कहा कि त्रिलोक महावर समकालीन कविता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी होने के नाते उन्होंने कई दूरदराज के अंचलों को न सिर्फ करीब से देखा–जाना वरन एक लेखक की दृष्टि से उन्हें अपनी रचनाओं में उकेरा भी हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण बात है।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार शशांक ने कहा कि आज के समय में “लेखी कर और तुरंत सोशल मीडिया में डाल” का चलन चरम पर है। यह चिंतनीय है। ऐसे माहौल में ‘आज के समय में कविता’ पुस्तक का आना बहुत ही सार्थक है और दिल को सुकून देता है। इस पुस्तक में संग्रहित लेख समय–काल और परिस्थितियों को देखने का नया नजरिया प्रदान करते हैं।
वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता ने कहा कि त्रिलोक महावर अपनी कविताओं में बस्तर के ठेठ आदिवासियों के जनजीवन को बहुत ही सहजता से हमारे सामने चलचित्र की तरह रखते हैं। हम उनकी कविताओं से गुजरते हुए बस्तर के घने जंगलों, नदियों, जनजातीय जीवनशैली, पर्यावरण के प्रति उनकी गहरी आस्था से रूबरू होते हैं। वे अपनी कविताओं में स्थानीयता को दिल की गहराइयों से बरतते हैं।
विषय प्रवर्तन करते हुए युवा आलोचक अरुणेश शुक्ल ने कहा कि त्रिलोक महावर की कविताएं पाठक को भीतर तक प्रभावित करती हैं। उनकी कविताओं में मानवता के प्रति अथाह प्रेम और करुणा के स्वर मिलते हैं। आज भले ही टेक्नोलॉजी ने हमारे आस्वाद को बदला है लेकिन कविता के केन्द्र में प्रेम और मनुष्येत्तर होना ही है।
कार्यक्रम में प्रो. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, वरिष्ठ कवि एवं संपादक सुधीर सक्सेना, दुष्यंत संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक विनय उपाध्याय, युवा कवि मोहन सगोरिया, युवा कथाकार एवं वनमाली पत्रिका के संपादक कुणाल सिंह, सह– संपादक ज्योति रघुवंशी, टैगोर स्टुडियो प्रमुख रोहित श्रीवास्तव, सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, विभागाध्यक्ष, फेकल्टी ने अपनी रचनात्मक भागीदारी की।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि त्रिलोक महावर को कुलाधिपति संतोष चौबे द्वारा विश्व रंग एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की महत्वपूर्ण सामग्री भेंट की गई।कार्यक्रम का सफल संचालन अरुणेश शुक्ल ने किया। स्वागत उद्बोधन एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन की जीवन्त कार्यदृष्टि को महीप निगम, प्रबंधक, आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल द्वारा प्रस्तुत किया गया।
अंत में सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं सृजनधर्मियों के प्रति आभार डॉ. संगीता जौहरी, प्रतिकुलपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा व्यक्त किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन संजय सिंह राठौर, संयोजक वनमाली सृजन पीठ एवं महीप निगम, प्रबंधक, आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल द्वारा किया गया।