मुंबई । भारतीय शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले विदेशी निवेशकों का लगाता हैं अब मोहभंग हो रहा है। इसकी बानगी शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की लगातार हो रही निकासी दे रहे हैं। आलम यह है कि जितना विदेशी निवेश पिछले 7 साल में आया था, उतना महज 8 महीने में खत्म हो चुका है। नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) ने हाल में आंकड़े जारी कर बताया कि विदेशी निवेशकों ने अक्तूबर, 2021 से अब तक भारतीय पूंजी बाजार से 2.5 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 32 अरब डॉलर निकाले हैं। यह शेयर बेचकर पैसे निकालने का अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है, जो इतने कम समय में इतनी बड़ी राशि की निकासी की गई है।
साल 2014 से 2020 तक विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 2.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। एनएसडीएल ने बताया कि साल 2010 से 2020 तक बाजार को कुल 4.4 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश मिला है, जबकि अक्तूबर से अब तक महज आठ महीने में ही इसकी आधी से ज्यादा रकम निकाली जा चुकी है।
विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार से पूंजी निकालने का सबसे बड़ा कारण महंगाई भी है। दरअसल, इस दौरान दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया है और पश्चिमी देशों में महंगाई दर भी कई दशक के शीर्ष पर पहुंच गई है। साथ ही रूस-यूक्रेन सहित तमाम देशों के बीच चल रहे तनाव की वजह से भी विदेशी निवेशकों को अपनी पूंजी डूबने का खतरा महसूस हो रहा हैं, जिससे वे बिना कुछ सोचे-समझे भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की ओर से पैसे निकालने का सिलसिला सिर्फ भारतीय बाजार में ही नहीं चल रहा है, बल्कि दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को भी इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।साल 2022 में ही विदेशी निवेशकों ने ताइवान के शेयर बाजार से 28 अरब डॉलर और दक्षिण कोरिया से 12.8 अरब डॉलर की निकासी की है।
अक्तूबर से अब तक अमेरिका, चीन और यूरोप के बाजारों में बड़ी गिरावट आ चुकी है, जबकि इस दौरान भारत का बड़ा बेंचमार्क निफ्टी महज 8 फीसदी टूटा है। बाजार को ढहने से बचाने का पूरा क्रेडिट घरेलू संस्थागत और खुदरा निवेशकों को जाता है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भी खुदरा निवेशकों को शॉक अब्जॉर्बर बता चुकी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि 2021 और 2022 में जहां विदेशी निवेशकों ने 2.2 लाख करोड़ रुपये बाजार से निकाले हैं, वहीं खुदरा निवेशकों ने 2.1 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। शेयर बाजार के अलावा म्यूचुअल फंड में भी खुदरा निवेशकों ने जमकर पैसे लगाए हैं और म्यूचुअल फंड की कुल संपत्तियों में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 55 फीसदी पहुंच गई है। साल 2021 और 2022 में खुदरा निवेशकों ने 1.1 लाख करोड़ रुपये म्यूचुअल फंड में लगाए हैं।