नई दिल्ली । गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले आठ सालों की अवधि में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश मजबूत और आत्मनिर्भर बना है और यह सिलसिला आगे भी निर्बाध जारी रहेगा। पिछले आठ सालों में मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए और ऐसी नीतियां बनाईं जिसका भारत में न्यायोचित, व्यापक और सतत विकास को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय असर दिखाई दिया। मैं भारत के इस शासन को नए भारत के निर्माण के सफर के तौर पर देखता हूं-एक मजबूत, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत।
कोविड महामारी जैसी बाधाओं के बावजूद यह अवधि प्रधानमंत्री के नए भारत के निर्माण को लेकर उनके अटल और अडिग लक्ष्य केंद्रित यात्रा के लिए याद की जाएगी। सन 2020 में महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को अपनी चपेट में ले लिया था। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर काले बादल मंडरा रहे थे, चारों तरफ भयावह मंजर था और कुछ भी निश्चित नहीं था। उस समय बस सभी के ज़ेहन में एक ही सवाल था, निराशा के बादल कब छंटेगे और उम्मीद का सूरज कब निकलेगा?
दुनिया पर एक अकल्पनीय चिकित्सकीय आपातकाल छा गया था जो पूरी दुनिया को लीलने को आतुर था। इस वजह से जिंदगी और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुए। अलग-अलग क्षेत्रों और उद्योगों को अलग-अलग समाधान की जरूरत थी। अलग-अलग उद्योगों को अलग-अलग समर्थन प्रणालियों की ज़रूरत थी। यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे किसी जटिल इंजीनियरिंग उपकरण को शुरू करना। ऐसे में भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक अलग रास्ता चुना। वह था आत्मनिर्भर भारत बनने का रास्ता।
विश्व बैंक जैसे संस्थान की नीतियों के समर्थन से भारत का सर्वोच्च मैन्यूफैक्चरिंग लीग में तेजी से उभरना एक और उदाहरण है। भारत ने विश्व बैंक के ईज ऑफ डूईंग बिजनेस (सहजता के साथ व्यापार) की सूची में 79 पायदान की उछाल हासिल की और 2014 की 142 रैंक से 2020 में सीधे 63 पर पहुंच गया। मेक इन इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं से लेकर दीवाला संशोधन तक तमाम तरह से सराहनीय प्रयास ने इसे सफल बनाया। ये वे योजनाएं थीं जो नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में लागू कीं।
2014 में प्रधानमंत्री ने चुनाव की जीत को देश के गरीबों को समर्पित किया। तभी से सरकार नीतियों और शासन को ज्यादा समावेशी बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित रही है। 28 अगस्त 2014 को मोदी ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) लागू की, बैंकिंग सभी के लिए जैसी विश्व की सबसे बड़ी योजना का लक्ष्य था आर्थिक अस्पृश्यता को खत्म करना। इस योजना का उद्देश्य था सभी कल्याणकारी पात्रता जैसे नरेगा का भुगतान प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के तहत सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचे।
आठ सालों बाद इस योजना ने हमारी सोच से ज्यादा उपलब्धि हासिल की है। 29 मई, 2022 तक 45.47 करोड़ लाभार्थी बैंक से जुड़ गए हैं और इनकी संयुक्त जमा राशि 167,406.58 करोड़ रुपये थी। मोदी सरकार की योजनाओं और नीतियों की रचना देश में हाशिए पर पड़े व्यक्ति को ध्यान में रख कर की जाती है। सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ सिद्धांत के पीछ बस यही एक ही मकसद रहा है कि विकास के पिरामिड में सबसे हाशिये पर पड़े व्यक्ति और तबके तक सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से मिलने वाला लाभ सुनिश्चित हो सके।
उज्ज्वला, आयुष्मान भारत, मुद्रा, पीएम किसान मानधन, स्वच्छ भारत, सौभाग्य, पीएम आवास और डीबीटी जैसी योजनाओं ने देश में कल्याणकारी अर्थशास्त्र की नई परिभाषा गढ़ी है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब देश का गरीब और कमजोर तबका सही तौर पर विकास में भागीदार बन पाया है। राष्ट्रीय सुरक्षा मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में से एक रही है जिसमें किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया गया।