मुंबई । शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी फिसलती नजर आ रही है। मुंबई के बाद उससे सटे ठाणे शहर में पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। ठाणे महानगरपालिका के 60 शिवसेना पार्षद एकनाथ शिंदे गुट के साथ जुड़ेंगे। बीते 30 सालों से भी लंबे वक्त से ठाणे महानगरपालिका (टीएमसी) पर शिवसेना का भगवा लहरा रहा है। बीते 2 दिनों से शिवसेना नेताओं द्वारा इन पार्षदों और पदाधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया। हालांकि ज्यादातर पार्षदों ने अपने फोन बंद रखे थे। अगर एक साथ इतने नगरसेवक बागी गुट में शामिल होते हैं तो फिर ठाणे शहर में उद्धव ठाकरे की शिवसेना का वजूद भी खत्म हो सकता है। गुरुवार को ठाणे शिवसेना के जिला प्रमुख व पूर्व महापौर नरेश म्हस्के ने खुले तौर पर एकनाथ शिंदे का समर्थन किया। म्हस्के राज्य के पहले जिला प्रमुख हैं, जिन्होंने शिंदे का समर्थन किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर शिंदे के समर्थन में लिखा है कि हम आपके साथ हैं…. प्रखर हिंदुत्व को हमारा समर्थन है। इस पोस्ट में दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे, ठाणे के दिवंगत जिला प्रमुख आनंद दिघे और एकनाथ शिंदे की तस्वीरें हैं। इसमें शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे की कोई फोटो नहीं है।
लगातार पांच बार नगरसेवक रहे पूर्व महापौर, पूर्व सदन नेता अशोक वैती ने भी शिंदे को अपना समर्थन दिया है। शिंदे के समर्थन में वैती के मतदान क्षेत्र में बैनर लगाया गया है। दूसरी तरफ मुंबई में भले ही आम शिवसैनिक उद्धव का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन ठाणे में शिंदे को ही समर्थन मिल रहा है। शिंदे के मतदान क्षेत्र की शिवसेना नगरसेविका जयश्री डेविड के पति जेरी डेविड, नगरसेविका निर्मला कणसे के पति शरद कणसे, निवर्तमान स्थाई समिति अध्यक्ष राम रेपाले भी शिंदे के समर्थन में गुवाहाटी पहुंच गए हैं। कल्याण-डोंबिवली, उल्हासनगर व अंबरनाथ में अधिकांश शिवसैनिक एकनाथ शिंदे के पक्ष में बैनर-पोस्टर लगा रहे हैं। उल्हासनगर और अंबरनाथ में शिवसेना का कोई भी नगर सेवक, शाखा प्रमुख, विभाग प्रमुख एकनाथ शिंदे के खिलाफ नहीं है। कल्याण से सांसद और एकनाथ शिंदे के पुत्र डॉ. श्रीकांत शिंदे के खिलाफ भी कोई नहीं बोल रहा है। शिंदे के समर्थन का असर इतना है कि जिस दिन शिवसेना भवन पर कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था, ठाणे जिले का कोई कार्यकर्ता वहां नहीं दिखा।