गुप्त नवरात्र में कई जगह शुरू हुआ अनुष्ठान, आचार्यश्री ने कहा- महामंत्र साधना अत्यन्त महत्वपूर्ण

झाबुआ गुरूवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र का आरम्भ हो गया है।आज द्वितीया है, और आज ही की शुभ वेला में श्री जगन्नाथपुरी उड़ीसा के भगवान् श्री जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा समारोह पूर्वक निकाली जाएगी। नौ दिवसीय नवरात्र शुक्रवार 8 जुलाई को सम्पूर्णता ग्रहण कर लेगा। गुप्त नवरात्र के अवसर पर गुरूवार को जिला मुख्यालय सहित अन्य स्थानों पर भगवान् श्री हरि विष्णु के मंदिरों में आकर्षक श्रृंगार किया गया, एवं विशेष पूजा-अर्चना की गई। कुछ स्थानों पर अनुष्ठान का भी आरम्भ किया गया। गुप्त नवरात्र के इस मौके पर वैसे गोपनीय रूप से साधना का विधान हमारे शास्त्रों में वर्णित किया गया है, किन्तु उपनिषद में उल्लेख किए गए भगवान् का नाम महामंत्र चूंकि सदैव सब अवसर पर कीर्तनीय, जपनीय एवं स्मरणीय है ओर भगवान् विष्णु के कई मंदिरों में विशेष अवसरों पर नाम महामंत्र का कीर्तन किया जाता है। अतः नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को भी जिले के कई मंदिरों में नाम महामंत्र (“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।”) के साथ श्री भगवान् की पूजा अर्चना आरम्भ की गई। साथ ही श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ भी किया गया। झाबुआ मुख्यालय स्थित श्री राम मंदिर, श्री राधे कृष्ण मंदिर, बामनिया के वनवासी राम मंदिर (टेकरी मंदिर) एवं थान्दला नगर में स्थित प्राचीन श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, बड़े रामजी मंदिर एवं श्री हनुमान अष्ट मंदिर में इस अवसर पर पूजा अर्चना कर श्रृंगार किया गया, एवं इसके पश्चात कहीं कहीं गुप्त अनुष्ठानिक प्रक्रिया भी शुरू हुई। थान्दला स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में प्रतिदिन पूजन अर्चन एवं आरती श्री महामंत्र से ही सम्पन्न की जाती है, अतः गुप्त नवरात्र प्रतिपदा तिथि पर भी श्री भगवान् की पूजा अर्चना का आरम्भ परम्परागत रूप से नाम महामंत्र (“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।”) से ही किया गया। गुप्त नवरात्र में भी यह क्रम नो दिनों तक अनवरत रूप से जारी रहेगा।

गुप्त नवरात्र के बारे में  विद्वान कर्मकांडी पंडित एवं श्री मद्भागवत कथावाचक पंडित श्रीरङ्ग आचार्य एवं भगवती प्रसाद शर्मा से इस विषय में ईएमएस संवाददाता द्वारा बातचीत की गई। पंडित भगवती प्रसाद शर्मा ने इस विषय पर बात करते कहा कि  "हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में चार बार नवरात्र होती है। इनमें दो नवरात्र शारदीय ओर चैत्र नवरात्र ज्ञात रूप में होती है, जबकि एक संवत में दो नवरात्र और भी होती है, जिन्हें गुप्त नाम से जाना जाता है। वस्तुत:  गुप्त कहीं जाने वाली उक्त  दोनों नवरात्र तांत्रिक साधना के उद्देश्य से अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी गई है। अतः इस अवसर पर विशेष तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं। मुख्यत: इस नवरात्र में महाकाली देवी दुर्गा की साधना प्रमुख रूप से किए जाने का उल्लेख हमारे धर्म शास्त्रों में वर्णित किया गया है, किन्तु अन्य मांत्रिक साधना भी इस नवरात्र में पूर्ण रूप से सिद्धिप्रदायक एवं फलप्रद होती है।" 

सर्व साधारण या एक साधारण गृहस्थ व्यक्ति द्वारा की जा सकने वाली साधना जो उसके लिए उपयोगी सिद्ध हो, इसपर प्रकाश डालते हुए पंडित श्रीरङ्ग आचार्य ने कहा कि “किसी भी साधना (विशेष रूप से तंत्र साधना) के पूर्व किसी योग्य साधक और गुरु का मार्गदर्शन अवश्य ही लेना चाहिए। वैसे नाम महामंत्र जप साधना इस कलिकाल में पूरी तरह अनुकूल, सुरक्षित, निरापद और सर्व मंगल को प्रदान करने वाली है, अतः वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति को महामंत्र साधना अपनी क्षमता अनुसार अवश्य ही करना चाहिए। वेदों और उपनिषदों में उल्लेखित महामंत्र निम्नलिखित हैं- “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।”
उक्त महामंत्र सबके द्वारा, सभी स्थितियों में, सर्वकाल में कीर्तनिय एवं जपनीय महायोग है।” यह नाम महामंत्र परम मङ्गलदायक और सिद्धि प्रदान करने वाला है। अतः आध्यात्म पथ के पथिक को इस महामंत्र की शरण अवश्य ही लेना चाहिए।