शरद पवार बोले- उद्धव ने शिंदे पर विश्वास किया! काफी पहले से चल रही थी सियासी उलटफेर की कवायद

पुणे । महाराष्ट्र में सियासी संकट का पटाक्षेप शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के बाद हो गया। इस पूरे राजनीतिक एपिशोड के लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने बड़ा दावा किया कि एकनाथ शिंदे की सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस खुश नहीं दिख रहे थे। उद्धव ठाकरे के बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के बागी नेता शिंदे ने महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने पहले कहा कि वह सरकार का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन बाद में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पवार ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे लगता है कि फडणवीस ने खुशी से नंबर दो का स्थान स्वीकार नहीं किया है। उनके चेहरे के भाव ने सब कुछ बयां कर दिया। हालांकि वो नागपुर से हैं और उन्होंने एक ‘स्वयंसेवक’ (आरएसएस के साथ) के रूप में काम किया है और वहां, जब कोई आदेश आता है, तो उसका पालन करना पड़ता है।’ उन्होंने कहा कि फडणवीस ने इस ‘संस्कार’ के कारण एक कनिष्ठ पद स्वीकार किया होगा।
पवार ने भाजपा सरकार के तहत केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के बारे में भी बात की और दावा किया कि उन्हें 2004, 2009 और 2014 में अपने चुनावी हलफनामों के संबंध में आयकर विभाग से ‘प्रेम पत्र’ प्राप्त हुए थे। उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ बगावत करने के बाद गुवाहाटी में डेरा डाले हुए एकनाथ शिंदे गुट को उम्मीद नहीं थी कि उनके नेता उपमुख्यमंत्री से ज्यादा कुछ बनेंगे। पवार ने कहा, ‘हालांकि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा आदेश दिए जाने के बाद, शिंदे को मुख्यमंत्री का पद दिया गया। किसी को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे लगता है कि शिंदे को खुद कोई जानकारी नहीं थी। दूसरा आश्चर्य, जो मुझे नहीं लगता कि वास्तव में एक आश्चर्य है, वह यह है कि देवेंद्र फडणवीस, जिन्होंने पांच साल तक मुख्यमंत्री और फिर विपक्ष के नेता के रूप में काम किया, को केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों का पालन करते हुए उपमुख्यमंत्री का पद लेना पड़ा।’ उन्होंने कहा कि हालांकि पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं।
पवार ने शिवसेना के बागी विधायकों के इस दावे को भी खारिज किया कि राकांपा और कांग्रेस के साथ शिवसेना का गठजोड़ उनके विद्रोह का प्राथमिक कारण था। उन्होंने कहा, ‘यह आरोप निराधार है। इसका राकांपा और कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। लोगों को (बहाने के रूप में) कुछ बताना होगा, इसलिए राकांपा और कांग्रेस को दोषी ठहराया जा रहा है।’ राकांपा प्रमुख ने कहा कि उन्होंने शिंदे से भी बात की और उन्हें बधाई दी। पवार ने कहा, ‘एक बार जब कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बन जाता है, तो वह राज्य का मुख्यमंत्री होता है। वह राज्य का मुखिया बन जाता है और मुझे उम्मीद है कि वह लोगों के मुद्दों को सुलझाने की दिशा में काम करेंगे।’
एमवीए सरकार के गिरने में क्या गलत हुआ, इस बारे में पूछे जाने पर, पवार ने कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार किसी भी मोर्चे पर पीछे नहीं रही। उन्होंने कहा, ‘शिंदे ने 39 विधायकों को ले जाने की क्षमता दिखाई और सफलता (उनके विद्रोह की) वहीं है। मुझे पता चला कि इसके लिए तैयारी लंबे समय से चल रही थी, सूरत जाने, वहां से गुवाहाटी और फिर गोवा जाना, ये व्यवस्था अचानक नहीं होती है।’ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर पवार ने कहा कि एक बार शिवसेना प्रमुख ने किसी पर विश्वास किया, तो उन्होंने उस व्यक्ति को पूरी जिम्मेदारी दी। राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘हमने देखा कि उन्होंने पार्टी संगठन और विधानसभा की सारी जिम्मेदारी शिंदे को दे दी थी। उन्हें (शिंदे को) बागडोर दी गई थी, और मुझे नहीं पता कि क्या यह घटनाक्रम उसके चलते हुआ।’