टोक्यो । जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पर शुक्रवार सुबह हमला हुआ था। इस दौरान हमलावर ने उन्हें गोली मारी थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां पर आबे ने अंतिम सांस ली। दरअसल, आबे संसद के ऊपरी सदन के लिए रविवार को होने वाली वोटिंग के मद्देनजर एक चुनावी कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए नारा गए हुए थे। इसी बीच जब वो भाषण दे रहे थे, तभी गोली चलने की आवाज सुनी गई।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मित्र शिंजो आबे के निधन की खबर से स्तब्ध हैं। उन्होंने ट्वीट किया कि मैं अपने सबसे प्यारे दोस्तों में से शिंजो आबे के निधन पर स्तब्ध और दुखी हूं। पीएम मोदी ने कहा कि शिंजो आबे ने भारत-जापान संबंधों को एक विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। आज पूरा भारत-जापान के साथ शोक में हैं, हम इस मुश्किल घड़ी में अपने जापानी भाइयों और बहनों के साथ खड़े हैं।
आज देश में एक दिन का रहेगा राष्ट्रीय शोक
वहीं इसके साथ पीएम ने अपने ट्वीट में 9 जुलाई को राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। जापान के पूर्व पीएम आबे के निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया, ‘मिस्टर आबे के साथ मेरा जुड़ाव कई साल पुराना है। मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें जानता था और मेरे पीएम बनने के बाद भी हमारी दोस्ती जारी रही। अर्थव्यवस्था और वैश्विक मामलों पर उनकी तीक्ष्ण अंतर्दृष्टि ने हमेशा मुझ पर गहरी छाप छोड़ी।’
पुलिस ने 41 वर्षीय एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उसका नाम यामागामी तेत्सुया बताया जा रहा है, जिसके पास से एक बंदूक बरामद की गई है। बताया जा रहा है कि दो गोलियां चलाई गई थीं। इस हमले के बाद पुलिस सतर्क हो गई और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
शिंजो आबे साल 2006 में पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि 2007 में बीमारी के चलते उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने 2012 में एक बार फिर से जापान के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और साल 2020 तक इस पद पर रहे।
बता दें कि आबे ने 2020 में स्वास्थ्य का हवाला देकर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि उनकी एक पुरानी बीमारी फिर से उभर आई है। उन्होंने कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए परेशान करने वाली बात है। उन्होंने सालों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात की थी।