सूरत । भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर कहा कि अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान के कठिन समय में मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। अफगानिस्तान का स्थिति को देखते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने की बात को दोहराई है। सूरत में मोदी एट द रेट 20 कार्यक्रम में एस जयशंकर से वैश्विक मामलों पर चर्चा हुई जिसमें अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात पर भी सवाल हुआ। उन्होंने इसके जवाब में कहा कि भारत मुश्किल समय में अफगान लोगों की मदद कर सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका की बातचीत में जयशंकर ने कहा कि ‘अफगानिस्तान में दुखद चीजें हो रही हैं… भारत यह निर्धारित नहीं कर सकता कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है, अफगानों को यह निर्धारित करना होगा कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है। भारत मुश्किल समय में अफगान लोगों की मदद कर सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल किया है, देश को मानवाधिकारों, महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान के सत्ता में आने के बाद से तालिबान अधिकारियों के अत्याचारों ने देश के हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न से बचने के लिए मजबूर कर दिया है। कई देश को छोड़कर भागने के लिए मजबूर हो गए। विशेष रूप से, अफगान महिलाएं अपने जीवन के कई पहलुओं पर तालिबान द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण एक अंधकारमय भविष्य की ओर देख रही हैं, जिसमें कक्षा 6 से ऊपर की लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना शामिल है, उन्हें नौकरी करने की अनुमति नहीं है, महिलाओं को बिना उनसे संबंधित पुरुषों के साथ यात्रा करने पर भी मनाही है यहां तक कि उनके मेकअप पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है।
जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय नागरिकों को निकालने के अनुभव को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने रूस और यूक्रेन के नेताओं से युद्ध क्षेत्रों में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी का आश्वासन देने का आह्वान किया था। ऑपरेशन गंगा के तहत, भारत ने 22,500 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी की सुविधा प्रदान की, जिनमें से अधिकांश छात्र यूक्रेन के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे।