43वें आईआईटीएफ का मध्यप्रदेश मंडप बना प्रदेश के उद्यमियों, स्व-सहायता समूहों और शिल्पकारों का मंच

भोपाल । नई दिल्ली में 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) के मध्यप्रदेश मंडप में प्रदेश के विशिष्ट उत्पादों और कला का विक्रय प्रदर्शन किया जा रहा है, जो प्रदेश की समृद्ध संस्कृति और शिल्पकला का प्रतिनिधित्व कर रहा है। मंडप में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए एमएसएमई उद्यमियों, स्व-सहायता समूहों और शिल्पकारों द्वारा तैयार किए गए हस्तशिल्प, हथकरघा, खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) और जीआई उत्पादों के प्रदर्शन और विक्रय के लिए स्टाल लगाए गए हैं।
मध्यप्रदेश के मंडप में 25 से अधिक एमएसएमई उद्यमी, स्व-सहायता समूह और शिल्पकार भाग ले रहे हैं। मंडप में प्रदेश के विख्यात हैंडलूम और हस्तकला के विभिन्न स्टाल लगाए गए हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित धार जिले के बाघ प्रिंट्स के शिल्पगुरु मोहम्मद यूसुफ खत्री का स्टाल सर्वाधिक लोकप्रिय हो रहा है। धार के रेवा स्व-सहायता समूह बाघ प्रिंट्स, उज्जैन के मुस्कान स्व-सहायता समूह बटिक प्रिंट्स, अशोकनगर के पाकीजा बुनकर अजरख प्रिंट्स के उत्पाद और सुरभि हैंडलूम चंदेरी साड़ी और सूट लेकर आए हैं।
भारतीय बुनकर सहकारी समिति ने सीधी की प्रसिद्ध दरी, रग्स और रनर्स का स्टाल लगाया है। इन दरियों की विशेषता बताई जा रही है कि वे 20 साल या अधिक तक चलेंगी। राजगढ़ की सनशाइन बुनकर सहकारी समिति बेडशीट, बेडकवर, सोफा कवर और पर्दों का विक्रय कर रही है। शिवपुरी के जैकेट्स, देवास के लैदर बैग्स, ग्वालियर के रेडीमेड वस्त्र और रीवा के एलोवेरा जैल भी काफी पसंद किए जा रहे हैं। मंडप में राजगढ़ के अनन्या स्व-सहायता समूह और कटनी के ओमशांति स्व-सहायता समूह ने भी अपने स्टाल लगाए हैं।
मंडप में गुना के वरुणदेव स्व-सहायता समूह के रिसाइकल्ड फूलों से निर्मित सुगंधित धूप और अगरबत्ती तथा देवास के दशमेश आयुर्हर्ब सॉफ्टेक के कुकू, अष्टगंधा, उपले, धूपस्टिक और हवन सामग्री की भी मांग हो रही है।
कृष्णगोपाल हैंडीक्राफ्ट्स ने टीकमगढ़ की सुप्रसिद्ध बैलमेटल से निर्मित कलात्मक मूर्तियों, दियों और शो-पीसेज के स्टाल लगाए है। मंडप में भोपाल की श्रीमती निर्मला उसरे और श्रीमती हुमेरा खान द्वारा जरी-जरदोजी के पर्स, बटुए और पोटली तथा श्रीमती नीतू यादव द्वारा जूटशिल्प के उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है। उज्जैन के संत रविदास स्व-सहायता समूह ने बांस के कलात्मक खिलौनों के स्टाल लगाये है। बैतूल के राहुल जाधव के बांस के बने लैंप, डब्बे, गुलदान, कोस्टर और घड़ियां दर्शकों द्वारा खूब पसंद किए जा रहे हैं। मंडप में विनायक दर्शकों को मंदसौर में बने मीनाकारी जेवर और सजावटी उत्पादों की बारीकियां सिखा रहे हैं।
मुरैना के राजेंद्र सिंह गुड़, काजू, बादाम और इलायची की गजक और चिक्की बेच रहे हैं, जिनकी मंडप में सर्वाधिक मांग हो रही है। मुरैना के आयुष आजीविका स्व-सहायता समूह, रतलाम के गुनगुन स्वसहायता समूह और महक कसेरा फूड द्वारा लहसुन सेव, मसाला सेव, गाठिया और बेसन पापड़ी के स्टाल लगाए गए हैं। डिंडोरी का दक्षिणा स्व-सहायता समूह मिलेट्स से बने नमकीन और कप केक्स लेकर आया है, समूह के सदस्यों की पारंपरिक वेशभूषा के कारण यह स्टाल सर्वाधिक लोकप्रिय हो रहा है।
मध्यप्रदेश मंडप ने एमएसएमई उद्यमियों, स्व-सहायता समूहों और शिल्पकारों के लिए एक अनोखा मंच प्रदान किया है, जिसके माध्यम से इन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने और अपने ब्रांड को बढ़ावा देने का अवसर मिल रहा है। मंडप में उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शनी के साथ आगंतुकों को मध्यप्रदेश की संस्कृति और शिल्पकला के बारे में जानने का अवसर भी मिल रहा है।