‘दूसरी माँ‘ में ‘‘मालती यशोदा को पुराने बर्तन देती है और कहती है कि वह कृष्णा को उन्हीं में खाना खिलाए। यशोदा और अशोक इसका विरोध करते हैं, लेकिन इससे कुछ नहीं होता। उनकी बेटियाँ आस्था और नुपूर जब कृष्णा के लिये अपने माता-पिता का प्यार देखती हैं तो वे असुरक्षित महसूस करती हैं। कृष्णा को घर से निकालने के लिये वो दोनों सोते समय उसका कंबल चुरा लेती हैं और पंखा चालू कर देती हैं, ताकि उसे परेशानी महसूस हो। दूसरी ओर, यशोदा आधी रात को जागती है, उसे कृष्णा का कंबल कॉरिडोर में मिलता है और वह फिर से उसे ओढ़ा देती है, जिससे आस्था और नुपूर का गुस्सा बढ़ जाता है। अगले दिन कृष्णा के इनडोर बाथरूम का इस्तेमाल करने से ड्रामा और भी बढ़ जाता है, हालांकि, अशोक अपनी बेटियों को मनाता है और उन्हें कृष्णा को आउटडोर बाथरूम का इस्तेमाल करने देने के लिये राजी कर लेता है। कृष्णा को परेशान करने के लिये कामिनी भी उससे अपना काम करवाती है पर यशोदा बीच में आकर यह सब रुकवा देती है। कामिनी कृष्णा के बारे में ज्यादा जानने का फैसला करती है और उसका बैग तलाशने लगती है, जिसमें उसे माला की तस्वीर मिलती है।