समाज को आईना दिखाती है ‘ओपरी पराई’

 हरियाणा में स्त्रियों की दशा किसी से छुपी नहीं है। लैंगिक भेदभाव, ऑनर किलिंग, भ्रूण हत्या, सामाजिक भेदभाव जैसी समस्या अभी भी वहाँ जस की तस देखी जा सकती हैं। हरियाणा के निर्देशक विजेता दहिया ने स्टेज एप के लिए वेबसीरीज़ ‘ओपरी पराई’ का निर्माण किया है। इससे ओपरी पराई में मोनिका बनी ‘अंजवी’ पर किसी अजय दहिया की आत्मा आने आने लगती है। जब यह आत्मा उस पर हावी होती है तो मोनिका अजीबोगरीब हरकतें करने लगती है। मोनिका का पति अजय दहिया का पता लगाने के लिए न केवल उसके गाँव जाता है बल्कि इलाज के लिए झाड़ फूँक भी कराता है। “बदल तो लिए लत्ते, इतने साल से पुराने लत्ते में तो था” लत्ते यानी पुरानी जीर्ण शीर्ण रूढ़िवादी मान्यताएं। जिस तरह समय के साथ शरीर के अनुसार वस्त्र की रूप रेखा बदल जाती है उसी तरह समाज की व्यवस्था भी पुरानी पढ़ जाती हैं। मलिन वस्त्र कोई धारण करना नहीं चाहता इसलिए स्त्रियाँ भी अब किसी भी हाल में पुरानी व्यवस्था में जीना नहीं चाहतीं। यह एक संवाद ‘ओपरी पराई’ वेबसीरीज़ का मूल विषय है। 

निर्देशक विजेता दहिया ने इस वेबसीरीज़ के माध्यम से अपने समाज के रूढ़िवादिता पर चोट की है।मोनिका बनी अंजवी ने पूरी वेबसीरीज़ को उम्दा अदाकारी से बांधे रखा है वहीं दूसरी ओर मोनिका के पिता बने संदीप शर्मा भी अपनी लाजवाब भूमिका में नज़र आए हैं। माता के रोल में संगीता देवी तथा मामा के रोल में रामपाल बल्हारा ने भी ग़ज़ब का अभिनय किया है। अल्पना सुहासिनी ने टिपिकल सास की भूमिका में दृश्यों में जान फूंक दी है। इसके अलावा विजय दहिया तथा बाकी कलाकारों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है।