हो गई है रात तेरे अक्स को तकते तकते,
दिलने ली परवाज़ अक्स को तकते तकते।
हर शाख़ पे खिल रहा है इक रंगीला अफ़्शाँ,
दिलने खोले राज़ अक्स को तकते तकते।
होंठ लजरते आंखों से बहता रहा है पानी,
दिलने दी आग़ाज़ अक्स को तकते तकते।
मेरे दिल से उनके दिल तक भेजा पैगाम,
दिलने सुनी तल्ख़ियाँ अक्स को तकते तकते।
रोती रही रूह गा उठा हर इक उदास लम्हा,
दिलने दी आवाज़ अक्स को तकते तकते।
~ बिजल जगड
मुंबई घाटकोपर