जाने वाली ने कहा
चलता हूं जी अलविदा
खट्टी मीठी यादों को
न करना कभी अलहदा
आया था उम्मीद बनकर
रह गया मुरीद बन कर
गठबंधन ख्वाबों से कर लिया
हकीकत को किनारे किया
परी लोक से तारे लाया
उन्हें ज़मीं पर बिछाया
आहट सुन तेरे कदमों की
सुरमई भोर का आभास हुआ
दामन में भरकर उजास
रहा तेरे ही आसपास
रहा अलकों की छांव तले
सपन सुनहरे पलकों में पले
बिन शब्दों के कितना कुछ कहा
पर तेरा भाव निस्तेज ही रहा
दिन बीता बीती है रात
नहीं दे सका कोई सौगात
मौन हीं रहा अब तक
मेरा बातूनी सा प्यार
ले रहा हूं तुझसे विदा
मेरा अनुभव रहा जुदा
अलविदा अलविदा
डॉ सिम्मी सिंह
उदयपुर राजस्थान