चोरों को सरकारी पेंशन 

राष्ट्रीय चोर एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि वह हमें भी पेंशन स्कीम का लाभ दे। चोर समुदाय सरकार, पुलिस और कोर्ट कचहरी के धंधे को तीव्र गति से आगे बढ़ाने के लिए सदियों से कृत संकल्प है। समस्त चोरों ने अपना ध्येय वाक्य बना रखा है कि वे राज, पुलिस और वकील के परिवारों को कभी भी विपन्न अवस्था में नहीं आने देंगे। उनके परिवारों के लिए नाना प्रकार से चौर्य कला का प्रदर्शन करते रहेंगे। चाहे कितनी ही ठंड पड़े।कितना ही पाला पड़े। लोग रजाई से बाहर भी नहीं निकलें। शीत लहर के साथ मावठ की बरसात भी हो रही हो, तब भी चिकने फिसलते पाइपों पर चढ़कर भी हम चोर लोगों ने अपनी चोरगिरी का परिचय दिया है। चाहे कितनी ही बरसात हो। बाढ़ के हालात क्यों ना हो। लोग सड़कों पर नावें क्यों न चलाएं। कितना ही आना जाना दुभर क्यों ना हो जाए। फिर भी सेठ हरामीलाल की कोठी के पिछवाड़े सेंध लगाकर चोरी करने का महान कर्म हम चोर लोगों द्वारा ही पूरा किया जाता है। कितनी ही भारी गर्मी क्यों न पड़े। सड़क की छाती पर लोग गर्मी से रोटियां सेक लेते हैं। ऐसी दुर्दांत गर्मी में जब लोग एसी में घुसकर डबल बेडों में सोते रहते हैं। उस अवस्था में भी हम चोर भाई लोग अपना कर्म पूरा करने में पीछे नहीं हटते। 

सब इसलिए कि सरकार को हमारी योजना का लाभ मिले। सरकार बेचारी पुलिस वालों से हफ्ता लेती है। पुलिस वाले बेचारे हमसे हफ्ता लेते हैं। हम नेता, वकील और पुलिस में हमारी चोरी का बंटवारा करते हैं। चौर्य कला वास्तव में बहुत मेहनत, ईमानदारी, लगन और अभ्यास का परिणाम है। युवावस्था में तो चोर व्यवसाय को बहुत आगे तक ले जाया जा सकता है। धीरे-धीरे बिल्ली की तरह चलना, खांसी होने पर भी मुंह को बंद रखना, सांस रोके रखना जैसी शारीरिक क्रियाओं के सहारे हम लोग अपना जीवन बिता देते हैं। लेकिन हमें मिलता क्या है? बस कुछ देर के लिए मीडिया में हमारी तस्वीर! जेल की हवा और कोर्ट के चक्कर! सारी उम्र गल जाती है लेकिन बुढ़ापे का कोई सहारा नहीं होता है। इसलिए सरकार चोर व्यवसाय को जिंदा रखने के लिए तुरंत पेंशन की व्यवस्था करे। 

चोरों के बच्चों को चौर्य कला में डिग्री दिलाने के लिए सरकार मदद करे। राष्ट्रीय चोर विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए हम चोरों के लिए नियमानुसार आरक्षण की व्यवस्था करे। देखा गया है कि चोर विश्वविद्यालय में नेता और अफसर लोगों के बच्चों को तुरंत एडमिशन दे दिया जाता है। ये लोग ही चोर व्यवसाय को बदनाम करते हुए, अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे ही डाका डालते हैं। ये डिग्री चोर की लेते हैं और डाकू बन जाते हैं। डाकू और चोर में बड़ा अंतर होता है। डाकू दिन दहाड़े बेखटके होकर काम करते हैं और हम चोर लोग रात अंधियारे में छुप कर अपनी कला को अंजाम देते हैं। डाकू लोग मार-काट मचाते हैं और हम लोग शांति से अपना काम निपटाते हैं। अत्यंत प्रतिष्ठित चोर व्यवसाय को इतनी तीव्रता से पूरी दुनिया में पहचान दिलाई, इसके लिए सरकार को चोरों का आभार व्यक्त करना चाहिए। सरकार को हम चोर लोगों के लिए तुरंत पेंशन व्यवस्था करनी चाहिए। 

रामविलास जांगिड़ (मो 94136 01939),18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर (305023) राजस्थान