घाव

हज़ार रंग में मुमकिन है यहां प्यार का इज़हार ,

मुंतजिर आंखों से शिदत ए गम का इज़हार।

हजारों राते जागे,एक मौसम सदियों ठहर सके?

फूल के पत्ते पर जख्म, लजरते होठों का इज़हार।

यख बस्ता हाथ खामोश लबों पर एक कहानी,

कुछ सुलगते नग़्मात, गम ए हालात का इज़हार।

शाम ए जुदाई खुद को दिन रात लिए फिरते है,

धीरे धीरे हर्फ की शाख से गहरे गा़र का इज़हार ।

दिल धड़कता है हर सितारों का आसमानों में,

भीगी रात,सुनी घड़ियाँ, सुनहरे घाव का इज़हार।

~ बिजल जगड

मुंबई घाटकोपर