नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा सैनिकों की भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निपथ योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि उसे इस योजना में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखाई देता। अदालत ने कहा, अग्निपथ योजना राष्ट्रीय हित में है और यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है कि सशस्त्र बलों को बेहतर किया जा सके। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने फैसला सुनाया।
योजना को चुनौती देने वाली कम से कम 23 याचिकाएं दायर की गई थीं और सभी याचिकाओं को अदालत ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल केंद्र की अग्निपथ योजना की शुरुआत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों की जांच की मांग करने वाले एक वकील द्वारा दायर एक नई याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सरकार द्वारा अग्निपथ योजना को इसके छोटे कार्यकाल और कम लाभ प्रदान करने के कारण शुरू करने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस योजना में युवाओं को चार साल की अवधि के लिए अस्थाई रूप से रक्षा बलों में शामिल करने का प्रस्ताव है और उन्हें अग्निवीरों के रूप में जाना जाएगा। चार साल के बाद, चयनित उम्मीदवारों में से केवल 25 प्रतिशत सशस्त्र बलों की नियमित सेवा में समाहित किए जाएंगे, जबकि शेष सेवानिवृत्त हो जाएंगे। बाद में, सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया।