ज़रूरी तो नहीं

चाहा जो रंग मिल जाए ज़रूरी तो नहीं

हर रंग निखार लाए ज़रूरी तो नहीं

खयालों के प्यालों में वो आते ही रहे

पर हर बार मिल जाए ज़रूरी तो नहीं

बातों ही बातों में हर बात वो रख जाए

पर हर बात बन जाए ज़रूरी तो नहीं

माना कि हर मोड़ पर टुटन है बहुत

हर टुटन पर बिखर जाए ज़रूरी तो नहीं

माना कि चल रहा है जंग दुनिया में बहुत

हर जंग जीता जाए ज़रूरी तो नहीं

ज़िंदगी निर्णय और फैसले का ज़खीरा है

हर फ़ैसला खुश रक्खे ज़रूरी तो नहीं

माना कि आप हैं सरल और ज़हीन भी 

हर शख्स ही तुमको समझे जरूरी तो नहीं

बेशुमार बेवजह आती हैं आँधियां जब तब

 हर तिनका उड़ा ले जाए ज़रूरी तो नहीं

कौन किसके कितने पन्ने पढ़े मंजुल

मिले जो राह में दूर आए ज़रूरी तो नहीं।

मेरी ही आधी आबादी से कायम है दुनिया

हर बार मेरे पंख कतरे जाए ज़रूरी तो नहीं।।

मंजुला श्रीवास्तवा गाजीपुर