ग़ज़ल

रिश्ते एैसे ढल गए कहते हू क्या है?

खोटे सिक्के चल गए कहते तू क्या है?

इक-इक करके जीवन के सरमाए से,

हौले-हौले पल गए कहते तू क्या है?

कौन से खेत बिगाने की तू मूली है,

ठग्गों को ठग छल गए कहते तू क्या है?

अपने आप को समझते थे जो पाटे खाँ,

वह अर्थी पर कल गए कहते तू क्या है?

कौन सी खिदमतदारी की तू बात करे,

हँस कौओं में रल गए कहते तू क्या है?

चूल्हे ऊपर ग़ैर किसी की रोटी को,

अँध्े बहरे थल गए कहते तू क्या है?

क्यों तू सिर पर पर्वत उठाई फिरता है,

आग में पत्त्थर ढल गए कहते तू क्या है?

इक छोटी सी चिंगारी की लाली से,

सारे जंगल जल गए कहते तू क्या है?

‘बालम’ बरबस तेज़ हवाओं के आगे,

काले बादल ठल गए कहते तू क्या है?

बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर

ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध 

एडमिंटन, कनेडा वॉट्सऐप 98156-25409