भारत का बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर स्टेबल और बेहतर है : RBI गवर्नर

इन्दौर । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बढ़ती महंगाई को लेकर कहा कि सब्जियां महंगी होने से महंगाई दर बढ़ी है। महंगाई पर होने वाले असर को TOP से समझाया। उन्होंने बताया कि T से टोमेटो यानी टमाटर, O से ओनियन यानी प्याज और P से पोटेटो यानी आलू में घट-बढ़ का असर महंगाई पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत का बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर स्टेबल और बेहतर है। भारत बहुत अच्छा स्कोर कर रहा है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को इन्दौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के साथ एआईजीजीपीए भोपाल, आईआईएम इन्दौर और आईआईटी इन्दौर भी शामिल रहा। अध्यक्षता कुलपति रेणू जैन ने की। आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर सहित शहर की कई अन्य प्रमुख हस्तियां भी इस आयोजन में शामिल हुई हैं। इस दौरान मध्य प्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी भी उपस्थ‍ित रहे। आरबीआई गवर्नर ने यहां छात्र-छात्राओं से चर्चा की और उनके सवालों के जवाब भी दिए। आरबीआई गवर्नर ने इन्दौर आने की वजह बताते हुए कहा कि आरबीआई ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के साथ इंटरेक्शन नहीं किया था, इसलिए मैंने प्लान किया। मकसद यह है कि आप जान पाएंगे पॉलिसी बनाते समय कैसे सोचा जाता है। कैसे डिसीजन लिए जाते हैं। हम भी कोशिश करते हैं कि ग्राउंड रियलिटी के बारे में समझकर पॉलिसी बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि जी-20 समिट नई दिल्ली में होने वाली है। एक्सपर्ट्स कह चुके हैं कि ये दशक भारत का है। इंडिया न्यू ग्रोथ इंजन ऑफ वर्ल्ड है।
:: अमेरिकी बैंकों के दिवालियापन का भारत पर कोई असर नहीं ::
दास ने राहत जताते हुए कहा कि इंडिया पर अमेरिकी बैंकों के दिवालियापन का कोई असर नहीं हुआ। कुछ सालों पहले इस तरह की चीजों का हमारे बैंकिंग सिस्टम पर निगेटिव असर होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। बैंकों ने बीते सालों में बेस्ट रिजल्ट दिए हैं। NPA भी कम हुआ है। हमें अलर्ट रहने की जरूरत है। ओवर कॉन्फिडेंस नहीं होना चाहिए। सही समय में हम ओवर कॉन्फिडेंस हो जाते हैं और स्मॉल रिस्क के प्रति लापरवाह हो जाते हैं, जो बाद में बड़ा रूप ले लेती है।
:: महंगाई दर अगस्त में 7.4 प्रतिशत रही ::
महंगाई पर उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक स्टेबिलिटी के बारे में बात करेंगे तो महंगाई दर अगस्त में 7.4 प्रतिशत रही। यह सब्जियों के दाम के कारण बढ़ी। टमाटर के भाव 200 गुना बढ़ गए थे। मौसम की वजह से सब्जियों के दाम बढ़े, लेकिन पहले कि तुलना में महंगाई अब कंट्रोल में है। सब्जियों में खासकर टमाटर के भाव गिरे हैं। टमाटर सही दाम में सभी को उपलब्ध हो सके, इस पर सरकार का खास ध्यान है। बासमती चावल उपलब्ध कराने के लिए भी एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई। अगस्त की महंगाई दर ऊपर रही, लेकिन सितंबर में महंगाई दर कम रहे इस पर सरकार का जोर है।
:: हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं ::
डिजिटल इकोनॉमी में आरबीआई के योगदान पर एक छात्रा के सवाल के जवाब में गवर्नर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक का रोल बहुत ही व्यापक है। पेमेंट सहित अन्य चीजें रिजर्व बैंक देखता है। यूपीआई एक बिग सक्सेस है। यूपीआई से नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन प्रति माह 10 बिलियन तक पहुंच गया है। यूपीआई सितंबर 2016 में शुरू हुआ था। ये लगातार बढ़ रहा है। हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं। यूपीआई के लिए स्मार्ट फोन जरूरी है। लेकिन देश में कई लोगों के पास टच स्क्रीन फीचर वाला फोन नहीं है। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का अभियान भी चल रहा है। ये पायलट प्रोजेक्ट ऑपरेशन में है।
:: इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की प्लानिंग की, ब्याज दर धीरे-धीरे बढ़ाने पर रहा जोर ::
गवर्नर दास ने कहा कि कोविड में सप्लाई डिस्टर्ब हो गई थी। देशों के बीच गुड्स और सर्विस का मूवमेंट एक बड़ा चैलेंज था। इस स्थित में महंगाई दर के 6 प्रतिशत से ऊपर जाने को काबू नहीं कर पाना फेलियर कहा जा सकता है। 2022-23 में एवरेज महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रही। फरवरी महीने में यूक्रेन और रूस के बीच वॉर की वजह से पूरी दुनिया में महंगाई दर प्रभावित हुई। इससे गेहूं सहित अन्य चीजों की सप्लाई प्रभावित हुई। सनफ्लावर ऑयल के साथ खाने के तेल की कीमतें बढ़ी। पेट्रोल के दाम बढ़ने से महंगाई दर बढ़ी और दुनिया के सभी देशों को इसका सामना करना पड़ा। हमारा अनुमान है कि इससे रिजल्ट निकलेगा। ब्याज दर बढ़ने से डिमांड और सप्लाई में बैलेंस होता है। डिमांड ज्यादा होने से कीमतें बढ़ती है। ये महंगाई दर को मॉनिटरिंग करने की पॉलिसी है। कोविड के समय पर लिक्विडिटी इंजेक्ट किया था। क्योंकि मार्केट में फाइनेंशियल एक्टिविटी रुक गई थी। फाइनेंशियल एक्टिविटी को बनाए रखने के लिए लिक्विडिटी बनाए रखने की जरूरत थी। हमारा एप्रोच एडवांस देशों से अलग था। बाकी देशों की तरह हमने भी सिस्टम में लिक्विडिटी इंजेक्ट की, लेकिन हम इसे अनलिमिटेड पीरियड के लिए नहीं देते थे। एक टाइम पीरियड रहता था।
:: महंगाई दर बढ़ती है तो इंटरेस्ट रेट बढ़ाना पड़ता है ::
एक सवाल के जवाब में गवर्नर ने कहा कि बैंक डिपॉजिटर के पैसे से चलता है। जब हम इंटरेस्ट रेट बहुत पूअर रखते हैं और इन्फ्लेशन रेट हाई रहता है तो डिपॉजिटर भी मध्यमवर्गी लोग हैं। रिटायर्ड लोग हैं। अगर इंटरेस्ट कम और इन्फ्लेशन रेट ज्यादा होगा तो उन्हें बेनिफिट कम मिलेगा। इसलिए इंटरेस्ट रेट को हमेशा इन्फ्लेशन के साथ एडजस्ट किया जाता है ताकि इंटरेस्ट रेट पॉजिटिव रहे। ये हमारी कोशिश रहती है। इसलिए जब महंगाई दर बढ़ती है हमें इंटरेस्ट रेट बढ़ाना पड़ता है।