इन्दौर सुप्रसिद्ध पाश्र्व गायिका आशा भोंसले के 90वें जन्मदिवस पर ग्वालियर घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक एवं वरिष्ठ फिल्म समीक्षक पं. अमरेन्द्र धनेश्वर ने मनमोहक प्रस्तुति दी।
अभिनव कला समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम रागदारी में पं. धनेश्वर ने विभिन्न रागों पर आधारित आकर्षक बंदिशों के अनेक स्वरूपों में पेश कर राग संगीत का फिल्मी गानों से परस्पर संबंध बड़ी खूबसूरती से पेश किया। आशा ताई के 90वें जन्मदिन पर यह विशेष कार्यक्रम श्रोताओं ने खूब पसंद किया और उनके प्रसिद्ध फिल्मी गानों और रागों का समन्वय अमरेन्द्रजी ने बड़ी खूबसूरती से संगीत प्रेमियों के समक्ष पेश किया। उन्होंने बताया कि वे देश-विदेश में इस तरह के लगभग 400 कार्यक्रम विभिन्न कलाकारों के साथ प्रस्तुत कर चुके हैं। पं. धनेश्वर ने कहा कि 90 वर्ष की आयु में भी उतनी ही ऊर्जा के साथ आशाजी गीतों के कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही हैं। आज वे कार्यक्रम के सिलसिले में दुबई में है। उन्होंने कहा कि गीत, गजल, ठुमरी, कैबरे, भजन गा लेने वाली आशाजी के अलावा दूसरी गायिका नजर नहीं आती है। उन्होंने बताया कि अपने कैरियर के शुरुआती 20 वर्षों तक आशाजी को कतिपय कारणों से पृष्ठभूमि में रहना पड़ा, लेकिन जब वे फ्रंट पर आई तो पूरी दुनिया पर छा गई। उस दौर में एस.डी. बर्मन, ओ.पी. नैय्यर, रवि जैसे संगीतकारों ने उनसे महत्वपूर्ण गीत गवाएं।
कार्यक्रम में पं. धनेश्वर ने यमन, केदार, कलावती, गौड़सारंग, भैरव, बसंत, बिलासखानी तोड़ी, सारंग, खमाज, नट भैरव रागों पर संगीत निदेशक वी. शांताराम, ओ.पी. नैय्यर, ख्य्याम, नौशाद के प्रसिद्ध फिल्मी नगमें राग के साथ प्रस्तुत किए। राग पर आधारित इन गीतों को आशा भोंसले की मधुर आवाज ने अमर बना दिया। इनमें प्रमुख गीत ‘बसंत है आया रंगीला…’, ‘झूठे नैना बोले…’, ‘रात भर का मेहमां मेरा…’, ‘वो सुबह कभी तो आएगी…’, ‘सावन आये या ना आये…’, ‘पिया बावरी…’, ‘आप यूं ही अगर हमसे मिलते रहे…’ को श्रोताओं ने मंत्रमुग्धता से सुना। पं. धनेश्वर के साथ सारंगी पर जगदीश बारोट एवं तबले पर भरत बारोट ने संगत की। प्रारंभ में अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल एवं प्रधानमंत्री संजीव आचार्य, वरिष्ठ पत्रकार नवनीत शुक्ला,आलोक बाजपेयी ने कलाकारों का स्वागत किया एवं आशा भोंसले जी को जन्मदिन की शुभकामना दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूर्वी निमगांवकर ने किया।