इन्दौर श्री राष्ट्रीय जैन प्राच्यविद्या अनुसंधान परिषद द्वारा श्री मातृत्व सभागृह कालानी नगर मे आयोजित व्याख्यान माला के अर्न्तगत मुख्य वक्ता देवेन्द्र सिंघई ने कहा कि जैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है जो आज भी एक जीवत एवं प्रचलित धर्म है भले ही आज इसके अनुयायी मुट्ठी भर है। उन्होंने आगे कहा कि सेंधव सभ्यता की उत्कृष्टता की परिचायक इसकी मुद्रायें हैं। कोई मुद्राओं और सीलिंग्स की बाबत यह भी कहा जाता है कि ये रहस्यमयी (गूढ़) है अर्थात इनकी व्याख्या अत्यंत दुरूह है। भारत का इतिहास उस समय से प्रारंभ होता है जब आधुनिक नागरिक सभ्यता का विकास नहीं हुआ था। संपूर्ण भूमि घास एवं वृक्षों से आच्छादित थीं लोग कुछ जानते नहीं थें, समाज में कुछ भी व्यवस्था नहीं थी मानव पारिवारिक, सामाजिक, राजशासन और आर्थिक बंधनों से पूर्णत: मुक्त था न हीं उसे खाने की चिंता थी न ही पहनने की। वृक्षों से ही उन्हें मनवांछित वस्तुएं उपलब्ध हो जाती थी। वे स्वतंत्र जीवन जीने वाले प्राणी थे। स्वभाव की दृष्टि से अत्यंत अल्पकाषायी। उस युग में जंगलों में हाथी,भैंसे,बैल,गाय आदि पशु थे पर लोग उन पशुओं का उपयोग करना नहीं जानते थे आर्थिक दृष्टि से न कोई श्रेष्ठी था, न कोई अनुचर ही। आज की भाँति रोगों का त्रास नहीं था। जीवन भर वे वासनाओं से मुक्त रहते थे जीवन के सांध्यवेला में वे एक पुरुष और स्त्री युगल के रूप में संतान को जन्म देते थें। उनका वे 49 दिन तक पालन पोषण करते और भरन शरण को प्राप्त होते थे। उनकी मृत्यु भी उबासी और छींक आते ही बिना कष्ट के हो जाती। इस तरह यह यौगलिक काल का जीवन था।
कार्यक्रम का शुभारंभ एम के जैन ने दीप प्रज्वलित कर किया, अतिथियों का स्वागत श्रीमती मीना नाहटा एवं श्री पंकज जैन ने किया। व्याख्यानमाला के दूसरे वक्ता डॉ. श्रीमती मनीषा चेलावत ने कहा अर्हम गर्भ साधना एक युग पुरुष को जन्म देने की एक आसान सी पद्धति है गर्भ साधना सर्वश्रेष्ठ साधन है जिसमें माता-पिता में एक सशक्त संतान को जन्म देने की शक्ति जागृत होती है माता-पिता सर्वश्रेष्ठ संतान को जन्म देने में समर्थ बनते हैं, संतान में उज्जवल भविष्य का निर्माण करने का सामर्थ पैदा होता है आज के युग में इस एडवांस टेक्नोलॉजी में एक संतान की आवश्यकता है जो खुद ही अपने तरीके से अपने आप को हर कंपटीशन में सक्सेस बना सके, बिना मां-बाप के सहारे के ऐसे ब्रेन का निर्माण होता है अर्हम साधना जिसमें संस्कारी संतान का जन्म होता है और वह सर्वश्रेष्ठ संतान बनती है,
कार्यक्रम का संचालन नितिन चेलावत ने किया एवं आभार पूर्वी जैन ने माना।