गीता में श्रीकृष्ण की वाणी व कुरआन में अल्लाह का इल्हाम दोनों परम पिता की ही वाणी हैं- नजीब जंग

इन्दौर दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि कुरआन की पहली ही आयत बिस्मिल्लाह का अर्थ है अल्लाह के नाम से वहीं गीता भी अपने सभी कर्म भगवान को समर्पित करने का कहती है । गीता में श्रीकृष्ण की वाणी व कुरआन में अल्लाह का इल्हाम दोनों परम पिता की ही वाणी हैं । 18 वीं शताब्दी में रूस के विचारक विलियम हम्बल्ट ने गीता पढ़ने के बाद स्वयं को सौभाग्यशाली बताया था । गांधीजी ने भी कुरआन और गीता को समान रूप से चमत्कारी बताया । यद्यपि गीता 5 हजार से अधिक वर्ष पूर्व प्रकट हुई और कुरआन शरीफ लगभग 1400 वर्ष पूर्व । लेकिन दोनों ईश्वरीय संदेश देती हैं इसलिए पैगंबर ने कहा था कि मुझे हिंदुस्तान से मोहब्बत की खुशबू आती है । दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग इन्दौर के श्री सत्य सांई विद्या विहार स्कूल में गीता और कुरान विषय पर परिचर्चा कार्यक्रम में बोल रहे थे। नजीब जंग ने कहा कि भगवद् गीता और कुरान दोनों ही हमें सत्य , प्रेम और करुणा के साथ हमारे भीतर और हमारे चारों ओर की दुनिया में दिव्यता की खोज की प्रेरणा देते हैं । भारत केवल लोकतंत्र और गणतंत्र का जन्मदाता नहीं , बल्कि विश्व के अनेक श्रेष्ठ दार्शनिक विचार भारत में ही जन्मे हैं । भारत की सभी धार्मिक परंपराएं अलग – अलग नदियों के समान हैं , जो अंत में एक ही समुद्र में समा जाती हैं । नजीब जंग ने छात्र – छात्राओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। स्कूल चेयरमैन डॉ. रमेश बाहेती ने स्वागत भाषण में कहा कि इस्लाम का अर्थ समर्पण और शांति है । इसलिए ओम और अल्लाह में समानता है । कुरान में तौहिद का वर्णन है वहीं गीता में समर्पण और आस्था की बात है । हिंदू परंपरा में अनेक उपवासों का वर्णन है , जबकि इस्लाम में रोजा प्रचलित है । जैन परंपरा भी पर्यूषण व अन्य अवसरों पर अनेक उपवास का अनुसरण करती है । इन सबका उद्देश्य आस्था और समर्पण ही है ।