सुप्रीम कोर्ट का खुलासा, हमने किसी को आरोपी बनाने के लिए नहीं कहा

-दिल्ली शराब घोटाला केस में चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दी जानकारी
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने खुलासा ‎किया है ‎कि उसने ‎किसी को आरोपी बनाने के ‎लिए नहीं कहा। ईडी अपना काम कर रही है, जांच में सबूत के आधार पर कार्रवाई होगी। यह बात दिल्ली शराब घोटाला केस के आरोपी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच कही। गौरतलब है ‎कि बैंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पटपड़गंज से आम आदमी पार्टी के विधायक मनीष सिसोदिया का पक्ष रखते हुए केस से जुड़े तथ्यों को कोर्ट के सामने रखा। अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के सामने एक चार्ट रखा जिसमें सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज केस में हुई कल की गिरफ्तारियों और सह आरोपियों को जमानत मिलने की तारीख का ब्यौरा था। सिंघवी ने अपनी दलील में कहा- मेरे मुवक्किल का विजय नायर से मेरा कोई संबंध नहीं है। वह आम आदमी पार्टी का एक वॉलंटियर था, जो आतिशी और सौरभ भारद्वाज को रिपोर्ट करता था। मनीष सिसोदिया के खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे सुनी-सुनाई बातों पर आधारित हैं, उनको साबित करने के लिए जांच एजेंसियों के पास ठोस सबूत नहीं है। सिंघवी ने कहा ‎कि जिन बयानों के चलते मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस होने का दावा किया जा रहा है, उनमें खुद विरोधाभास है। अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली शराब घोटाला केस में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाए जाने की चर्चाओं का जिक्र करते हुए कहा ‎कि अखबारों में हेडलाइन है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा है कि आप को आरोपी क्यों नहीं बनाया? ज्यादातर समाचार चैनल चला रहे हैं कि ईडी आम आदमी पार्टी को इस केस में आरोपी बनाना चाहती है। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा- हम अदालत में कई सवाल पूछते हैं। हम मीडिया रिपोर्ट से प्रभावित नहीं होते। ईडी के वकील एसवी राजू ने कहा कि अगर सबूत हैं तो हम किसी को नहीं छोडेंगे।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए के तहत हमने जो सवाल पूछा था उसका आधार ये था कि सी-डी को आरोपी बनाया एक-बी को क्यों नहीं बनाया? यह एक कानूनी सवाल था, जिसका जवाब हमने ईडी से मांगा। शीर्ष अदालत ने साफ किया- हमने ईडी से यह नहीं पूछा था कि आप किसी को आरोपी बनाइए। हमने सिर्फ एक कानूनी सवाल पूछा था कि अगर ए को फायदा पहुंचा है, तो क्या बी या सी के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है?
जस्टिस खन्ना ने कहा कि ईडी के अनुसार आरोप है कि 30 करोड़ दिनेश अरोड़ा को दिए गए, 35% इंडोस्पिरिट को दिया गया और होलसेलर को 65% मिला। ईडी की तरफ से कहा की पॉलिसी बनाने के फैसले को चुनौती नहीं दी गई है। इस पर जस्टिस खन्ना ने पूछा कि आपके अनुसार नीतिगत निर्णय व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रेरित था, तो क्या इसका मतलब यह नहीं होगा कि आप नीतिगत फैसले को चुनौती दे रहे? एसवी राजू ने कहा कि हमारा कहना है कि नीति थोक विक्रेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, हम बताएंगे कि कैसे इसको तैयार किया गया था और इसमें मनीष सिसोदिया की क्या भूमिका थी।