वॉशिंगटन । डॉक्टर की लिखी दवा पर सभी भरोसा करते हैं। लेकिन यही दवा मौत का कारण बन जाए तो संशय तो होगा ही। कोरोनाकाल में डॉक्टरों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) लेने की सलाह दी। यहां तक की अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस दवा को लेने की सलाह दे डाली। आज यही दवा 17 हजार की मौत का कारण बन गई है। जिन 17,000 लोगों की मौत का खुलासा हुआ है उनकी हृदय गति में निरंतरता की कमी और मांसपेशियों की कमजोरी के कारण मौत हुई थी। अमेरिका, तुर्की, बेल्जियम, फ्रांस, स्पेन और इटली में यह शोध किए गए थे। इस अध्ययन में कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज और उन्होंने क्या दवा खाई, इस पर नजर रखी गई थी।
साल 2020 में जब कोरोना अपने चरम पर था, उस दौरान दुनिया के कई देश हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग करने लगे। यह मलेरिया की दवा है लेकिन विदेशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया गया। उस दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नागरिकों से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। लेकिन अब इसको लेकर एक खुलासा हुआ है।फ्रांसीसी रिसचर्स ने एक अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि एचसीक्यू को लेने से 6 देशों में करीब 17,000 लोगों की मौत हुई है। इसके कारण अमेरिका में सबसे अधिक 12,739 लोगों की मौत हुई जबकि स्पेन में 1895, इटली में 1822, बेल्जियम में 240, फ्रांस में 199 और तुर्की में 95 लोगों की मौत हुई है।रिसचर्स का कहना है कि मरने वालों की संख्या और अधिक भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 से लेकर जुलाई 2020 तक ही अध्ययन किया था और इसमें केवल 6 देशों को शामिल किया गया था। बता दें कि अमेरिका में जब कोरोना चरम पर था, तब उस दौरान 28 मार्च को अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन ने एचसीक्यू के उपयोग के लिए मंजूरी दी थी और इसका परीक्षण भी शुरू कर दिया था। हालांकि बाद में इसका उपयोग बंद कर दिया गया क्योंकि न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन ने एक अध्ययन किया और इसमें पाया गया की एचसीक्यू का कोविड पर कोई प्रभाव नहीं है। इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके बाद 15 जून 2020 को इसका उपयोग रद्द कर दिया गया।
वीरेन्द्र विश्वकर्मा/ईएमएस/7 जनवरी 2024